लेखक:मोनू शर्मा राय
कागज एक अत्यंत जरुरी चीजो में से एक चीज है,जिसमें हम बहुत सारी जरुरी चीजो को अंजाम देते है| कागज लिखने के काम में आता है जिसपे हम जो चाहे और जैसे चाहे लिख सकते है | लेकिन बहुत लोगो को यह बात नहीं पता होगा की PAPER KAISE BANTA HAI?
हम सभी स्कूल या कॉलेज मे पढ़ ही चुके है जहा हमें पेपर से बनी कॉपियो की जरुरत होती है जिसपे हम लिखते है |कागज का इस्तेमाल हम बहुत सारी चीजो में कर सकते है| कागज का उपयोग हम कैर्री बैग बनाने ,अख़बार बनाने और प्रिंटिंग प्रेस में भी प्रिंट करने जैसे और भी अन्य कामों के लिए किया जाता है | हमें बचपन से ही कागज की जरुरत होती है, जब तक हम पढ़ते है तो लिखने क लिए के लिए और जब हम बड़े होकर काम करते है तब भी कागज की जरुरत हमें पड़ती है | तो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से ये जानेगे की PAPER KAISE BANTA HAI? / पेपर या कागज कैसे बनता है जाने 2023 में? अगर अप यह नहीं जानते है की PAPER KAISE BANTA HAI तो यह आर्टिकल आपकी मदद करेगा ये जानने में की कागज कैसे बनता है ? ये भी पढ़े – पवन चक्की कैसे घुमती है?
कागज कैसे बनता है?(PAPER KAISE BANTA HAI)
कागज का हमारे जीवन की सुरुवात से अंत तक बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है | मुख्य रूप से सेल्यूलोस का इस्तेमाल कागज बनाने के लिए किया जाता है और यह सेल्यूलोस हम पेड़ लकडियों से मिलता है | सेल्यूलोस एक तरह का चिपचिपा पदार्थ होता है जिसकी प्राप्ति हमें पेड़-पोधो से होती है | सेल्यूलोस के एक एक रेशे को जोड कर कागज की एक पतली परत तैयार की जाती है |
रुई एक एसा पदार्थ है जिसमे सुध रूप से सेल्यूलोस पाया जाता है जिसका उपयोग करके हम कागज बना सकते है लेकिन रुई से जो सेल्यूलोस हमें प्राप्त होता है उसकी कीमत काफी होती है इसलिए इसका उपयोग कागज बनाने क लिए नहीं किया जाता है बल्कि रुई से प्राप्त सेल्यूलोस का उपयोग तरह तरह के कपडे बनाने क लिए किया जाता है |
सेल्यूलोस की शुद्धता पर ही कागज की गुणवत्ता निर्भर करती हैहमें अगर सेल्यूलोस प्राप्त करना है तो हम रेशम या उन से भी प्राप्त कर सकते है लेकिन इन दोनों पदार्थो से प्राप्त सेल्यूलोस में काफी अधिक मात्र में अशुद्धता पाई जाती है इसलिए इनसे प्राप्त सेल्यूलोस का उपयोग कागज बनाने क लिए नहीं किया जाता है |
आगे इस आर्टिकल के माध्यम से हम यह जानेगे की कागज बनाने की सही विधि क्या है ?
पेड़ो का सही चुनाव करना:
सर्वप्रथम कागज बनाने लिए हमें ऐसे पेड़ों का चुनाव किया जाता है जिसमे लकड़ी के रेशे की मात्र काफी अधिक मात्र में मोजूद हो |
पेड़ों की टहनियों को अलग करना:-
प्रथम प्रक्रिया पेड़ का चुनाव हो जाने के बाद अब उस पेड़ों को अलग अलग टुकडो में काटकर अलग अलग कर लिया जाता है और फिर इन सभी टुकड़ों को फैक्ट्री में भेज दिया जाता है | फैक्ट्री में पहुचने के बाद इनके ऊपर जो छिलके होते है उनको साफ किया जाता है और फिर इन पेड़ के टुकड़ों को काफी बारीकी के साथ छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है|
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diagester chamber का प्रयोग:-
जब पेड़ के सभी बड़े बड़े टुकड़ों को छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है इसके बाद उन सभी छोटे छोटे टुकड़ों में से लिग्निन को बाहर निकलने के लिए उसे एक प्रकार के कोन्वेयोर बेल्ट की सहायता से डिजस्टर चैम्बर में भेज दिया जाता है और यहाँ पर इस लकड़ी के टुकड़ों को एसिडिक सोलुसन (acidic solution ) के साथ मिला दिया जाता है और फिर इन लकड़ी के टुकड़ों में से लिग्निन को अलग कर दिया जाता है | लिग्निन का उपयोग इसलिए किया जाता है की लिग्निन एक ऐसा पदार्थ है जो किसी भी तरह की लकड़ी को कठोर बना देता है |
ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग:-
लिग्निन को जब लकड़ी के टुकडो में से निकाल दिया जाता है उसके बाद इसको पानी से अच्छी तरह धोया जाता है और फिर इसमें ब्लीचिंग को डाल दिया जाता है और ब्लीचिंग की सहायता से इसे नर्म बनाया जाता है |
कागज की प्रक्रिया में कैल्शियम कार्बोनेट जैसे पदार्थो का मिलाव:-
जब लकड़ी के टुकडो मे ब्लीचिंग का कम ख़त्म हो जाता है तो उसके बाद इसे और भी सघन बनाने क लिए इसमें कैल्शियम कार्बोनेट को मिलाया जाता है ताकि ये पहले से और सघन हो जाए |
पानी का मिलाव:-
जब सघन बनाने की प्रक्रिया हो जाता है तो उसके बाद सघन लकड़ी के टुकडो को पतला करने के लिए इसमें पानी को मिलाया जाता है | पानी को मिलाने के बाद एक पल्प नाम का मिश्रण तैयार होता है और इसी मिश्रण से ही कागज को बनाया जा सकता है |
पेपर मशीन जैसे उपकरणों का प्रयोग :-
पानी से बने हुए पल्प को धीरे धीरे पेपर मशीन के अन्दर डाल दिया जाता है और मशीन क अन्दर से होते हुए इसे बहुत से फेज से होकर गुजरना पड़ता है और इन सभी फेज से गुजरने के बाद पेपर की एक लम्बी परत तैयार होती है | बाद में पेपर की इन लम्बी लम्बी परतों को छोटे छोटे टुकड़ों में काट दिया जाता है और इसी से ही मगज़ीन, कॉपी, न्यूज़पेपर,डायरी ,केलिन्डर आदि और भी बहुत सारी चीजें बनायीं जाती है ,जो हमारे रोजमर्रा के कामों के लिए बहुत उपयोगी साबित होती है |
कागज का इतिहास से जुडी कुछ रोचक बातें
कागज के इतिहास की अगर हम बात करें तो कागज का उपयोग सबसे पहले चीन में किया गया था |चीन में रहने वाले एक व्यक्ति जिनका नाम काई लून(Kai Lun) था उन्होंने ही सबसे पहले सन् 105 में कागज का आविष्कार किया था |
जब कागज का आविष्कार नहीं हुआ था तब लिखने के लिए लोग रेशम और बांस का प्रयोग किया जाता था | काई लून ने पेड़ों के सहतूत,भांग,छाल तथा अन्य कई प्रकार के रेशों का इस्तेमाल किया और कागज का निर्माण किया था | जब पहला कागज बना तो यह दिखने में काफी चमकीला ,लचीला और मुलायम था जिसके करना इस कागज पर लिखना काफी आसान था|
PAPER KAISE BANTA HAI? / पेपर या कागज कैसे बनता है जाने 2023 से जुरे कुछ अंतिम शब्द:
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