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HISTORY OF 8th MARCH ON WOMEN’S DAY IN HINDI?(जानना चाहते है 8 मार्च के महिला दिवस का इतिहास?)

लेखक: गुड्डू राय

HISTORY OF 8th MARCH ON WOMEN'S DAY IN HINDI?(जानना चाहते है 8 मार्च के महिला दिवस का इतिहास?)
यूँ तो हमलोग महिला दिवस के दिन को बरी खुशी से मानते है, लेकिन वो कहते है ना हर चीज की कीमत होती है,हर ख़ुशी के पहले हमें गम का सामना करना परता है| हम अगर अपने इतिहास में देखे तो हमें इस बात का उत्तर मिल जाएगा की ये खुसी और समनता का दिन जिसमे हम अपने घर के ओरतो के साथ दुनिया के सभी ओरतो को इज्जत और सम्मान देने की बात करते है,उनकी शुरुवात एक संघर्ष और आन्दोलन के साथ हुई थी,जिसे हम आज पढेंगे| आज हमलोग HISTORY OF 8th MARCH ON WOMEN’S DAY IN HINDI?(जानना चाहते है 8 मार्च के महिला दिवस का इतिहास?) के बारे में जानेंगे,इसकी सुरुवाती बिंदु से अंत तक सभी जानकारी को जानेंगे|

महिला दिवस कब शुरू हुई?(WHEN WAS WOMEN’S DAY STARTED?):

कभी कभी हमारे मन में एसा सवाल उठता है,की आखिर एसी क्या बात ही गई जो अंतराष्ट्रिय स्टार पर महिलाओ के सम्मान के लिए एक अलग दिन घोषित करना परा| क्या सिर्फ उनके सम्मान के लिए ये दिन घोषित किय गया था? या उनके पीछे छिपी थी कोई जद्दो जहद जिसे दूर करने के लिए महिलाओ ने आन्दोलन का सहारा लिया|
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुवात न्यू यॉर्क सहर से हुई| वह की महिलाओं को समन्ता का अधिकार प्राप्त नहीं था,उनके साथ भेद भाव किया जाता था| उन्हें काम पर तो रख लिया जाता था पर उन्हें उचित वेतन और अधिकार नहीं दिया जाता था,जो पुरुषो को प्राप्त था| उन्होंने सरकार से ये मांग शुरू किया की उन्हें कम घंटे काम की अनुमती दे| इनके साथ ही महिलाओ की एक और मांग थी की उन्हें उनके काम के बदले बेहतर वेतन दिया जाए और मतदान की अनुमति भी दी जाए| दरअसल ,अहिला दिवस एक मजदुर आन्दोलन से उपजा एक दिवा है  जिसकी शुरुवात 1908 में हुई थी|
धीरे धीरे यह आन्दोलन जोर पकरता गया और पुरे विश्व में आग की तरह छा गया|करीबन एक वर्ष के शंघर्ष के बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी द्वारा पहला राष्ट्रिय महिला दिवस घोषित कर दिया गया|

महिला इवास को ग्लोबल बनाने का आईडिया कहा से आया?(WHERE IS THEIS IDEA COME FROM  TO GLOBALISE WOMEN’S DAY?)

महिला दिवस को अंतराष्ट्रीय बनाने का श्री भी एक महिला को जाता है|उस महिला का नाम क्लारा जेकटिन था|उसने कोपेनेहमन में कामकाजी महिलाओ की एक अंतराष्ट्रीय कोंफ्रेंक का आयोजन 1910 में किया,और उसी कोंफ्रेंस मयूसने इस दिन को अंतराष्ट्रिय महिला दिवस के रूप में मनाने का सुझाव रखा| जिस वक्त कोंफ्रेंस का आयोजन किया गया,उस वक्त कोफ्रेंस में 100 से भी ज्यादा महिलाए मौजूद थी,जो 17 से भी ज्यादा देसों का प्रतिनिधित्व कर रही थी| सभी महिलाओ ने इस सुझाव को हामी भर दी|
सर्वप्रथम साल 1911 में स्वित्ज़रलैंड,जर्मनी.डेनमार्क और आस्ट्रिया में अंतराष्ट्रिय महिला दिवश मनाया गया था|हालाँकि यह 110 वा अंतराष्ट्रीय महिला दिवस कहा जाएगा,लेकिन तकनिकी तौर पर इस वर्ष 109 वा अंतराष्ट्रिय महिला दिवस मन रहे है|
1975में महिला दिवस को अधिकारिक मान्यता दी गई और यह मान्यता उस वक्त दी गई जब विस्व युद्ध की समाप्ति हो चुकी थी और संयुक्त राष्ट्र संघ का जन्म हुआ था| संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस दिन को मनाया गया और अधिकारिक रूप से 8 मार्च को यह दिन को स्वीकृति मिल गई| संयुक्त राष्ट्रसंघ ने इस दिवस को थीम के साथ मनाना शुरू किया| इस अंतराष्ट्रिय महिला दिवस की पहली थीम  थी:”सेलिब्रिटीन्ग द पास्ट प्लानिंग फॉर द फ्यूचर(CELEBRATING THE PAST,PLANNING FOR THE FEUTURE)”
 

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अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को क्यों रखा गया?(WHY 8TH MARCH DECLARE AS INTERNATIONAL WOMEN’S DAY?)

प्रसिद्ध जर्मन सोशल एक्टिविस्ट क्लारा जेक्टिन जिन्होंने इस दिवस को अंतराष्ट्रीय बनाने का सुझाव दिया था,उन्होंने महिला दिवस को मनाने के लिए कोई तारीख नहीं बताई थी| उन्ही के बदौलत INTERNATIONAL SOCIALIST CONGRESS ने साल 1910 में महिला दिवस को अंतराष्ट्रिय स्वरूप और इस दिन को पब्लिक हॉलिडे घोषित किया|
1917 में जब रसिया में जब युद्ध चल रहा था,उस दौरान रूस की महिलाओ ने खाना और शांति(BREAD AND PEACE) की मांग की थी| रूस की महिलाओ की इस मांग ने वहां के सम्राट ,निकोलस थे,उनके पद को छोरने के लिए मजबूर कर दिया और महिलाओं की हरताल के आगे झुककर वहां की नत्रिम सरकार ने महिलाओ को मतदान देने का अधिकार दे दिया|
फरवरी की 23 तारीख को महिलाओ ने यह हरताल शुरू की थी,उस समय रुष में जिस कैलेंडर का उपयोग होता था उस कैलेंडर का नाम जुलियन कलेंडर  था| ग्रेगेरियन कलेंडर में यह दिन 8 मार्च था| और उसी दिन के बाद से 8 मार्च को अंतराष्ट्रिय महिला दिवस मनाया जाता लगा | ओपचारिक रूप से मान्यता वर्ष 1975 में उस समय मिली जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाना शुरू किया|

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कैसे मनाया जाता है?(HOW INTERNATIONAL WOMENS DAY IS CELEBRATED)

दुनियाभर के कई देशो में 8 मार्च को रास्ट्रीय घोषणा की जाती है | रूस और दुसरे कुछ ऐसे देश है जहाँ इस दिन फूलों की कीमत बहुत बढ़ जाती है क्योकि इस दिन पुरुष और महिला एक दुसरे को फूल उपहार के रूप में देते है|
अमेरिका में मार्च का महिना ”विमेंस हिस्ट्री मंथ” के तौर पर मनाया जाता है और चीन में इस दिन कम करने वाली महिलाओ को दफ्तरों से आधे दिन की छुट्टी दी जाती है | दुनिया  के हर देश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अलग – अलग अंदाज़ में मनाया जाता है |
1. दुनिया के कई और देशो के साथ नेपाल , जान्जिया, चीन , कम्बोडिया और रूस जेसे देशो में इस दिन अवकाश रहता है |
2. इटली की राजधानी रोम में महिलाओ की इस दिन मिमोसा (छुईमुई) के फुल देने का रिवाज है |
3. बहुत से देशो में अंतररास्ट्रीय महिला दिवस पर बच्चे अपनी माँ को तोहफा (गिफ्ट) देते है |

अंतररास्ट्रीय महिला दिवस की थीम (THEME OF INTERNATIONAL WOMENS DAY )

1975 में महिला दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अधिकारिक रूप से मान्यता दी और महिला दिवस मनाया | इस दिन को वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मानना शुरू किया |इस अंतररास्ट्रीय महिला दिवस दिवस की सबसे पहली थीम थी -”सेलेब्रटिंग द पास्ट प्लानिंग फॉर फ्यूचर ”(CELEBRATING  THE PAST ,PLANNING THE FUTURE)

वर्ष(YEAR)

थीम (THEME)

1996

अतीत का जश्न,भविष्य के लिए योजना

1997

महिलाओ और सन्ति तालिका

1998

महिला और मानवाधिकार

1999

महिलाओ के खिलाफ हिंसा से मुक्त विश्व

2000

शान्ति के किये एकजुट महिलाए

2001

महिला और शांति:महिला का संघर्ष प्रबंधन

2002

आज की अफगान महिला: वास्तविकता और अवसर

2003

लिंग समानता और सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य

2004

महिला और एचआइवी /एड्स

2005

2005 के आगे लिंग समानता: अधिक सुरक्षित भविष्य का निर्माण

2006

निर्णय लेने में महिलाए

2007

महिलाओ और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना

2008

महिला और लड़कियों में निवेश

2009

महिलाओ और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के  लिए महिला और पुरुष एकजुट

2010

सामान अधिकार,सामान अवसर:सभी के लिए प्रगति

2011

शिक्षा,प्रसिक्षण एवं विज्ञान और प्रोधोगिकी की सामान पहुँच: महिलाओ के बेहतरी का मार्ग

2012

ग्रामीण महिलाओ को सशक्त बनाना,गरीबी और भुखमरी का अंत

2013

वचन देना,एक वचन है:महिलाओ के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कार्यवाही का समय

2014

महिलाओ के लिए समानता,सभी के लिए प्रगति है|

2015

महिला ससक्तिकरण,ही मानवता ससक्तिकरण :इसे कल्पना कीजिये

2016

2030 तक गृह में सभी 50-50 लैंगिक समानता के लिए आगे आये  

2017

कार्य की बदलती दुनिया में महिलाए

2018

अब समय है: महिलाओ और महिलाओ के जीवन को बदलने वाले ग्रामीण और शहरी, कार्यकर्ता अब है: ग्रामीण ओर शहरी कार्यकर्ता महिलाओ के जीवन को बदल रहे है|

2019

सामान सोचे बिल्ड स्मार्ट बदलाव के लिए नया करे

2020

मैं जेनेरेसन इक्वलिटी : महिलाओ के अधिकारों को महसूस कर रही हूँ

2021

WOMENS IN LEADERSHIP- ACHIEVING AND EQUAL FUTURE IN A COVID-19 WORLD (महिला नेत्रत्व COVID-19 की दुनिया में एक सामान भविष्य को प्राप्त करना)

अंतररास्ट्रीय महिला दिवस के कुछ अनमोल वचन (SOME VALUABLE  LINES  OF INTERNATIONAL  WOMENS DAY)

महिला दिवस हमारे देश के साथ पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है, हालाँकि इसकी शुरुआत संघर्षपूर्ण तरीके से हुई थी | पुरे विश्व में नारी जाति को अवहेलना के रूप में देखा जाता है | अतः महिला दिवस के दिन के बारे में कई महान पुरुषो ने अपने वचनों के द्वारा अपना सहयोग दिया है | अंतररास्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर कुछ अनमोल वचन –
1.कोई भी राष्ट्र उन्नत्ति के सिखर पर नहीं पहुँच  सकता जब तक कि उस राष्ट्र में महिलाओ को सामान अधिकार प्राप्त न हो- मोह्हमद अली जिन्ना
2.किसी भी समाज की उन्नत्ति उस समाज की औरतों की उन्नत्ति से मापी जा सकती है|- बी.आर.अम्बेडकर
3.आदमी अपनी नियति को सम्भाल नहीं सकते है उनके लिए यह कार्य उनके जीवन से जुडी औरत करती है – ग्रुशो मार्क्स
4.किसी भी सभ्यता को आकलन औरतों के व्यवहार से किया जा सकता है – राल्फ वाल्डो एमर्सन
5.जब एक आदमी औरत से प्यार करता है  उसे अपनी जिन्दगी का एक हिस्सा देता है लेकिन  जब एक औरत प्यार करती है तो अपना सब कुछ दे देती है – आस्कर वाइल्ड
6.नारी प्रेम करने के लिए है , समझने की वस्तु नहीं है – आस्कर वाइल्ड
HISTORY OF 8th MARCH ON WOMEN'S DAY IN HINDI?(जानना चाहते है 8 मार्च के महिला दिवस का इतिहास?)

अंतररास्ट्रीय महिला दिवस के नारे

                                                        बेटी -बहु कभी माँ बनकर ,
                                                    सबके ही सुख-दुःख को सहकर ,
                                                       अपने सब फर्ज निभाती है,
                                                       तभी तो नारी कहलाती है |
                                                      क्यों त्याग करे नारी केवल
                                                     क्यों नर दिखलाये झूठा बल
                                                       नारी जो जिद पर आ जाए
                                                       अबला से चंडी बन जाए
                                                   उसपर न करो कोई अत्याचार
                                                      तो सुखी रहेगा घर परिवार |
                                                               इस तरह मेरे
                                                       गुनाहों को वो धो देती है
                                                             माँ बहुत गुस्से
                                                         में होती है तो रो देती है
                                                         बित जाती है उम्र सारी
                                               पर कभी आराम नहीं करती नारी |
                                                    एक आदमी को पढाओगे तो
                                                     एक ही व्यक्ति शिक्षित होगा
                                                 लेकिन एक स्त्री को पढ़ाओगे तो
                                                     पूरा परिवार शिक्षित होगा|
                                                   नारियां नहीं कभी बेचारी
                                                  नारियों में निहित है शक्ति सारी |

महिला दिवस के उद्देश्य

भारत में यूँ तो महिलाओ के साथ कई तरह के भेदभाव किये जाते है चाहे वह काम काज के लिए हो या फिर घर के सभी जगहों पर लडकियों और औरतों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है | यह समस्या आज से नही बल्कि दशको से चली आ रही है | इस दिन की शुरुआत मजदूर आन्दोलन के रूप में हुई थी जो धीरे धीरे अपने  पांव को पसारते हुए पुरे विश्व में फ़ैल गया और महिला दिवस की उत्पत्ति हुई| हालाँकि इस आन्दोलन में भी महिलाओ  के जरूरतों  को उजागर करने के लिए आन्दोलन की शुरुआत हुई थी |
अमेरिका में महिलाओ को वोट देने का अधिकार नहीं था और उनके कम के साथ भेदभाव किया जाता था | उन्हें उचित वेतन नहीं मिलता था जबकि रसिया में उस वक़्त युद्ध चल रहा था  और वह के महिलाओ ने ”खाना और शांति” (BREAD AND PEACE)  का नारा देते हुए आन्दोलन की शुरुआत की | इसी प्रकार इस विशेष दिन का गठन हुआ और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे सम्मानित किया |

अंतररास्ट्रीय महिला दिवस  2021 में कैसे मनाया जाएगा

यूँ तो पुरे विश्व में महिला दिवस अलग अलग तरह से मनाया जाता है | कही छुईमुई के पोधो का फूल देकर तो कही गिफ्ट देकर | कोई  देश अपने सारे ऑफिस के कर्मचारी को पुरे दिन की छुट्टी प्रदान करते है तो कई देश इस दिन आधे दिन का अवकाश सरकार द्वारा दिया जाता है |
भारत में हम इस दिन को स्पेशल बनाने के लिए अपने माँ ,पत्नी ,बहन और जितनी भी प्यारी औरते जिनकी हम इज्जत करते  है  उन्हें फूल देकर उनकी इज्जत बढ़ाते है और कई लोग अलग अलग तरह के गिफ्ट भी देते है | हालाँकि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी महिला दिवस इसी तरह मनाया जाएगा |

महिला दिवस पर स्पीच

नारी यह केवल एक शब्द नहीं है बल्कि एक सम्मान तुल्य शब्द है | हमेशा से औरतों को देवी के रूप में हमारे पूर्वजो द्वारा दर्शाया गया है | जब भी घर में कभी किसी लड़की का जन्म होता है तो लोग कहते है कि बधाई हो लक्ष्मी ने जन्म लिया है | वही अगर घर में किसी पर मुसीबत आती है तो घर की औरते अपना खाना पीना छोड़ उनकी सेवा में लग जाती है इससे उनके दयालुपन का प्रमाण मिलता है |
हम माँ दुर्गा ,  माँ काली , माता लक्ष्मी आदि संकड़ो नाम है जिन्हें हम देवी के रूप में पूजते है और सभी नारी का ही रूप है | नारी अगर अपने पर आ जाए तो सावित्री की तरह अपने मरे हुए पति को भी अपनी उपासना से जिन्दा कर सकती है और काली  की तरह रूद्र रूप को धारण कर सर्वनाश भी कर सकती है |
भारत के साथ पुरे विश्व में महिला दिवस  8 मार्च को मनाया जायेगा | हमारा कर्त्तव्य है की हम भी इस दिवस का पालन अपने मन से करे | लोग घरो में औरतों के साथ आज भी भेदभाव करते है  उन्हें हीन द्रिस्टी से देखा जाता है , उन्हें कमजोर समझा जाता है  परन्तु नारी जितनी दयालु की माता है  उतनी ही पत्थर के जेसी शक्त | हमारे देश  की नारी जैसे -श्रीमती लता मंगेशकर ,सरोजिनी नायडू ,कल्पना चावला , मैरी कोम ,सानिया मिर्ज़ा ,साइना नेहवाल,गीता कुमारी इत्यादि सैकडो औरते है जिन्होंने हमारे देश का नाम पुरे विश्व पटल पे  विख्यात किया है ,सोचिये अगर उनके साथ उनके घर वाले भेदभाव करते और आगे बढ़ने से रोकते तो क्या आज ये सभी औरते इस मुकाम तक पहुँच पाती | अतः हमें भी श्रध्दा के साथ इस दिन को याद  करना चाहिए |

महिला दिवस के उपलक्ष्य को ध्यान में रखते  हुए कुछ फिल्मे:

हमारे देश में कई अच्छे अच्छे फिल्मो का निर्देशन हुआ है जो हमें हमेशा याद रहेगी | नारी शक्ति को दर्शाने हेतु बहुत सी फिल्मो का निर्देशन किया गया है जिसमे से कुछ नाम निचे दिए गए है ,जो नारी शक्ति को दर्शाते है –
1.ब्लैक (BLACK 2005) 2.वाटर(WATER 20056) 3. द नेमसेक(THE NAMESAKE 2007)  4.फैशन (FASHION 2008)  5.द गर्ल इन येल्लो  बूट्स ( THE GIRL IN YELLOW BOOTS 2011) 6.कहानी (KAHANI 2012)7.इंग्लिश विन्ग्लिश (ENGLISH WINGLISH 2012) 8.हेरोइन (HEROIN 2012)  9.क्वीन (QUEEN 2014)  10.मैरी कोम (MARRY KOM)
तो ये थी HISTORY OF 8th MARCH ON WOMEN’S DAY IN HINDI?(जानना चाहते है 8 मार्च के महिला दिवस का इतिहास?) जिसमे हमलोग ने महिला दिवस की पूरी कहानी को अपने पाठको के लिए लिखी है जिसमे हमारे पाठको को पूरी जानकारी मिलेगी और पाठको को कसी दुसरे आर्टिकल में जाने की जरुरत नहीं परेगी|

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HOLIKA DAHAN HISTORY AND WISHES/ होलिका दहन या छोटी होली क्यों मनाया जाता है?जाने पूरी विधि की सच्चाई

लेखक:मोनू शर्मा राय

होलिका दहन-आज हमलोग इस पोस्ट में जानेगे की  होलिका दहन या छोटी होली क्यों मनाया जाता है?जाने पूरी विधि की सच्चाई ( HOLIKA DAHAN HISTORY AND WISHES) में हमलोग पूजा की विधि से लेकर उसकी पूरी जानकारी हम अपने पाठको के साथ साझा करेंगे और उन्हें पूरी जानकारी देनें की कोशिश करेंगे | ताकि हमारे पाठको को पूरी जानकारी मिले| इस वर्ष होली का त्यौहार 27 मार्च विश्व रंगमंच दिवस के दो दिन बाद 8 मार्च को है|

28 MARCH 2021 HOLIKA DAHAN HISTORY AND WISHES/ होलिका दहन या छोटी होली क्यों मनाया जाता है?जाने पूरी विधि की सच्चाई

 होलिका दहन क्यों मनाया जाता है:

महापुरानो के अनुसार महाराज हिरनकश्यप का एक पुत्र था जिसका नाम प्रहलाद था| वह भगवान विष्णु का बहुत बार भक्त था| परन्तु रजा हिरनकश्यप भगवानो से नफरत करते थे, अतः उन्हें बिलकुल पसंद नहीं था की कोई उनके घर में भगवान को माने,चुकी उसे ब्रह्मा भ्ग्वान से वरदान मिला था| उन्हें भगवान ब्रह्मा  की घोर तपस्या की और भगवान को प्रसन्न क्र के उनसे वरदान की प्राप्ति की|
भगवान ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया था की हिरनकश्यप को कोई मार नही सकता | न हीं उन्हें कोई सुबह मार सकता है,न हीं रात में| न उसे कोई अस्त्र से मार सकता है और न ही कोई शस्त्र से| न ही उसे कोई भगवान मर सकता है न ही कोई दानव, न ही उनकी मृत्यु प्रलय से हो सकती है न ही कोई जानवर से|
अतः इसी बात का उसे घमंड था और वो खुद को भगवान से भी ऊपर समझते थे अतः  उसे पसंद नही था की कोई उनके घर में किसी भगवान की पूजा करे| अपने बेटे से भगवान विष्णु का भक्ति हटाने हेतु हिरनकश्यप ने अपने पुत्र पर तरह तरह की यातनाए करनी शुरू किया|  अतः साड़ी यातनाए सहने के बाद भी जब उनका पुत्र नहीं माना और भगवान विष्णु का नाम जपते रहे तब रजा हिरनकश्यपने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र को सौप दिया|
होलिका के पास भी वरदान था,उसे एसा वरदान प्राप्त था की उसेअग्नि कुछ नहींकर सकता अर्थात वो अग्नि से नहीं जल सकती| अतः होलिका अपने भाई के पुत्र प्रहलाद को जलाने हेतु उसे अपनी गोद में लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गई| लेकिन भगवान विष्णु की कृपा भक्त प्रहलाद पर थी,वह जब अग्नि में प्रवेश किया तबी भी भगवान विष्णु का जाप करते रहे| अंत में ये हुआ कली भक्त प्रहलाद ज्यो के त्यों बच गए और होलिका अग्नि में जलकर भष्म हो गई| इस प्रकार होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई और सच्चाई की जित को दर्शाता है|
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होलिका दहन का सुभ महूर्त:

बाबा श्याम  के ग्यारस के कुछ दिनों बाद 29 मार्च 2023 को होली का त्योहार है, परन्तु  इसके पहले 28 मार्च को होलाष्टक खत्म होने के साथ होलिका दहन किया जाता है । पूर्णिमा तिथि के अनुसार  8 मार्च 2023 रविवार के दिन की रात में या यु कहे तो संया/सांझ के वक्त होलिका दहन मनाया जाता है ।
भद्रा दिन 1 बजकर 33 बजे समाप्त हो जाएगा । साथ ही पूर्णिमा की तिथि रात्रि  12:40 तक ही रहेगी। शाश्त्रो के अनुसार  भद्रा रहित पूर्णिमा की  तिथि में ही होलिका दहन किया जाएगा , इस कारण रात में 12:30 बजे से पहले ही  होलिका दहन की समाप्ति हो जानि चाहिए। क्योंकि रात में 12:30 बजे के बाद हिन्दू शास्त्रार्थ के अनुसार प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।
भारतीय हिन्दू  पंचांग के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त 28 मार्च को शाम 6  बजकर 37 मिनट से रात्रि 10 बजकर 56 मिनट तक रहेगा यानि 02 घंटे 20 मिनट तब होलिका दहन का मुहूर्त रहेगा। इसी मुहूर्त में होलिका दहन मनाना अत्यंत शुभ मना जाएगा  है। इस साल होलिका दहन के समय भाद्र का महिना नहीं रहेग|

होलिका दहन की सुभकामनाए:

स्वीट-स्वीट सी रहे आपको बोली
खुशियां ही खुशियां हो आपकी झोली,
मेरी तरफ से मुबारक हो आपको छोटी होली
होलिका दहन की हार्दिक सुभकामनाए
Happy Holika Dahan 2023
जिस तरह होलिका
जलकर हो गई थी राख,
उसी तरह आपके मिट जाएं
आपके सारे कष्ट और पाप,
हैप्‍पी होलिका दहन 2021
अच्‍छाई की जीत हुई है,
हार गई आज बुराई है,
देखो होलिका दहन की,
शुभ घड़ी आज आयी है,
होलिका दहन की शुभकामनाएं
निकलो गलियों में बना कर टोली,
भिगा दो आज हर एक की झोली,
कोई मुस्कुरा दे तो उसे गले लगा लो,
वरना निकल लो, लगा के रंग कह के हैप्पी छोटी होली।
सब रंगो को मिला कर पानी में,
सतरंगी नदियां बहाई है।
कर देंगे सबके चेहरों को लाल,
होली की ऐसी खुमारी छाई है।
लगा दो रंग आज कोई बचके ना जा पाए,
क्योंकि सबसे सतरंगी होली आई है।

अंग्रेजी में जाने होलिका दहन की सुभकामनाए:

Mix all the colors in water,
Seven rivers flow.
Will make everyone’s faces red,
Holi is such a hangover.
Apply two colors, no one can be saved today
Because the most colorful Holi has come.
Get out in the streets, make a team,
Get rid of everyone’s bag today,
If someone smiles, give it a hug,
Otherwise, come out and say, ‘Happy little Holi’ by saying colors.
Good has won
Lost is evil today,
Look at Holika Dahan,
Auspicious moment has come today,
Happy Holika Dahan
By the way holika
Was burnt to ashes,
In the same way you disappear
All your sufferings and sins,
Happy Holika Dahan 2021
Bid you stay sweet-sweet
Happiness is happiness, your bag
Happy little holi from my side
Happy Holika Dahan
Happy Holika Dahan 2021

होलिका दहन की पूजन विधि:

होलिका दहन जिस स्थान पर किया जाएगा उस स्थान को पहले गंगा जल या सुद्ध पानी से धो ले| यह कार्य करने के बाद वह गोबर के सूखे उपले,घांस,और सुखी लकरी रखे|  यह कार्य और समान इकठ्ठा होने के बाद सपरिवार पूर्व दिसा के तरफ मुह करके बैठ जाए| अगर आप चाहे तो सूखे गे के गोबर से भक्त प्रहलाद और होलिका का चित्र बना सकते है| यह करने के पश्चात् भगवान नरसिंह किपुजा अर्चना करे|
पूजन के वक्त लोटा में पानी,माला,चावल,रोली,और सात प्रकार के अनाज के साथ फुल कच्चा सूत,गुर,हल्दी बतासे,गुलाल होली पर बनने वाले अप्क्वान और नारियल रखे| साथ में नइ फसले भी रखी जाती है| जैसे गेहू की बलिया| कच्चे सूत को तिन या सैट बार परिक्रमा कर क्र बांधे,और अंत में सभी समग्रीयो को होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करे| यह मन्त्र का जाप करे: अहकुटा भय्त्रस्ते: कृता त्व होली बालिशे: कई लोगो की तरह आप भी पूजन के पश्चात् अग्नि के अस्थियो को घर के विभिन्न जगह पर रख सकते है|

होली से होने वाले कुछ बीमारी:

यूँ तो होली क खुसी का दिन है| लेकिन बच्चे और बरो को कुछ साब्धानिया बरतनी परती है| कुछ बच्चो को ज्यादा होली और रंगों से खेलने से स्किन पे प्रभाव परता है,और उन्हें एलर्जी भी हो सकती है| ज्यादा पानी से खेलने पर बच्चो को सर्दी लग सकती है| और बारे बुजुर्गो को भी सर्दी खांसी का सामना करना पर सकता है पानी से खेलने के कारन|
किसी किसी के स्किन काफी सवेदनशील होती है अतः उन्हें अपने सेहत का ध्यान रखते हुए होली के रंगों से दूर रहना चैये क्युकी उन्हें एलर्जी का सामना करना पर सकता है|
होलिका दहन या छोटी होली क्यों मनाया जाता है?जाने पूरी विधि की सच्चाई(8 MARCH 2023 HOLIKA DAHAN HISTORY AND WISHES) में हमने अपने पाठको के लिए साडी जानकारी देने की कोशिश की है,ताकि आप सभी पाठक गन को किसी भी तरह का अर्तिक्ल में जाने की जरुरत न हो|

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महाबीर जयंती 4 अप्रैल | Mahavir jayanti 4 april-hindimetrnd.in

लेखक:मोनू शर्मा राय

हमारा देश विविधताओ का देश है| हमारे देश में कई तरह के भाषाए बोली जाती है कई तरह के संस्कृति का समावेश है उनमे से जैन धर्म भी अंक तरह के धर्म के सामान एक महत्वपूर्ण धर्म है| इस धर्म के मानने वाले मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते है| विलियम शेक्पियर के जन्म दिवस के एक दिन पहले इस बार महाबीर जयंती मनाया जाएगा  में | क्या आप Mahavir jayanti 4 april(महाबीर जयंती 4 अप्रैल ) के बारे में जानना चाहते है? आगरा आपका जवाब हा ही तो यह पोस्ट अप के लिए है जिसमे हम Mahavir jayanti 4 april(महाबीर जयंती 4 अप्रैल) के बारे में साडी जानकारी आप सभी से  साझा करेंगे|

Mahavir jayanti महाबीर जयंती :-

महावीर जयंती के पीछे क्या धारणा है और इसकी विशेष बात क्या है?

महावीर स्वामी का जन्म चैत्र महीना के शुक्ल पक्ष की त्रयोदसी को 599 इसवी पूर्व बिहार के लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और वंहा की महारानी त्रिशला के घर पर हुआ था | ये जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे | इनके बचपन का नाम वर्धमान था | महावीर स्वामी के जन्म के बाद राज्य दिन पर दिन तरक्की कर रहा था | यही कारन है की इनका नाम वर्धमान रखा गया | जैन अनुयायिओं द्वारा महावीर जयंती का त्यौहार हर वर्ष पूरी दुनिया में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे जिनके निर्वाण प्राप्त करने के करीबन 188 वर्ष बाद महावीर स्वामी का जन्म हुआ था | उन्होंने पूरी दुनिया को एक सन्देश दिया जो था ” अहिंसा परमो धर्म:” अर्थात इसका मतलब ये है की अहिंसा ही अभी धर्मो में सर्वोपरि है और इसके द्वारा उन्होंने पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया | सबसे पहले महावीर स्वामी ने स्वयं अहिंसा के मार्ग को अपनाया और फिर पूरी दुनिया को इस मार्ग को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया | इनका एक ओर मूल मंत्र है और वो है ” जियो और जीने दो |” ये भी पढ़े:संत गुरु रबिदाश जयंती

बर्धमान से जुडी कुछ रोचक बातें:-

जैन धर्म को मानने वाले अनुयायीयों का यह मानना है की वर्धमान की आयु जब 12 वर्ष की थी तब उन्होंने कठोर तपस्या करके अपनी इन्द्रियों पर विजय हासिल कर ली थी | जिसके करना उन्हें विजेता कहा गया | उनके द्वारा किया गया यह तप किसी पराक्रम से कम नहीं था | और उनके द्वारा किये गए इस तप के कारन ही उनके महावीर नाम से संबोधित किया गया | उनके मार्ग पर जो लोग चलते थे वे लोग जैन कहलाने लगे | जैन का मतलन होता है “जिन के अनुयायी |” जैन धर्म का अर्थ होता है “जिन द्वारा परिवर्तित धर्म |” भगवन महावीर स्वामी ने दीक्षा लेने के बाद कठिन दिगंबर चर्या को अंगीकार किया और साथ ही निर्वस्त्र भी रहे | श्वेताम्बर संप्रदाय के अनुसार महावीर स्वामी ने दीक्षा लेने के उपरांत कुछ समय छोड़कर बिना वस्त्र रहे | उन्होंने दिगंबर अवस्था में ही ज्ञान की प्राप्ति की | ऐसा कहा जाता है की भगवान महावीर स्वामी ने अपने पुरे साधना काल के दोरान किसी से बात नहीं की अर्थात वे मौन रहे |

महावीर स्वामी द्वारा पालित पांच सिद्धांत:-

मोक्ष प्राप्त करने के बाद महावीर स्वामीजी द्वारा पांच सिद्धांत दर्शाए गए जो समृद्ध जीवन और आन्तरिक शांति की और ले जाते है | इनके द्वारा दिए गए सिद्धांत कुछ इस तरह है – सत्य , अस्तेय, अहिंसा , ब्रह्मचर्यं और सबसे अंतिम है अपरिग्रह |

  1. महावीर स्वामी द्वारा दिया गया पहला सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार चाहे कोई भी परिस्थिति हो जैनों को हिंसा से दूर रहना चाहिए | भूल कर भी किसी को भी कस्ट नहीं पहुचाना है |
  2. महावीर स्वामी द्वारा दिया गया दूसरा सिद्धांत है सत्य ‘भगवान महावीर का कहना है की सच ही सबसे सच्चा तत्व है जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है वह तैरकर और आराम से मृत्यु को पार कर जाता है इसलिए लोगों को हमेशा सत्य ही बोलना चाहिये |
  3. महावीर स्वामी द्वारा दिया गया तीसरा सिद्धांत है अस्तेय , अर्थात अस्तेय को पालन करने वाले लोग किसी व् रूप में अपनी इच्छा और अपने मन के मुताबिक वस्तु को ग्रहण नहीं करते है | इस सिद्धांत को मानने वाले लोग संयम से रहते है और केवल वही वस्तु लेते है जो उन्हें दी जाती है |

4.भगवन स्वामी द्वारा दिया गया चोथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य अर्थात इस सिद्धांत को पालन करने के लिए जैनों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है , इसका पालन करने वाले लोग किसी भी प्रकार की कामुक गतिविधियो में भाग नहीं ले सकते है |

  1. उनके द्वारा दिया गया पांचवा और अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह , अर्थात यह शिक्षा पिछले सभी सिद्धांतो को जोडती है | अपरिग्रह का पालन करके जैनों की चेतना को जगाती है और वे लोग सांसारिक वस्तुओं के साथ साथ भोग की वस्तुओं का भी त्याग कर देते है |

Mahavir jayanti/महावीर जयंती के उत्सव गतिविधि:-

जो लोग जैन धर्म का अनुसरण करते है वे लोग ऐसी कई तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेते है जो गतिविधियाँ उनलोगों को अपने परिवार और परिजनों से जुड़ने का मौका देते है और साथ ही भगवन महावीर स्वामी को याद करने का मौका भी देते है |

महावीर जयंती के उपलक्ष्य में लोग महावीर स्वामी की प्रतिमा को जल तथा तरह तरह के सुगन्धित तेलों से धोते है | इसका कारन यह की ये सब भगवान महावीरजी की शुद्धता का प्रतिक है | इसके साथ ही यह नियमित पूजी जाने वाली बहुत सुन्दर धार्मिक प्रतिमाओं को धोने के व्यवहारिक उदेश्यों को भी पूरा करता है | दुनिया की बहुत सी ऐसी जगह है जहाँ जैन धर्म को मानने वाले लोगो द्वारा भगवन महावीर स्वामी की प्रतिमा को लेकर सुन्दर शोभायात्रा निकली जाती है | इस शोभायात्रा में बच्चो द्वारा तरह तरह की सुन्दर झांकियां प्रस्तुत की जाती है | बच्चे इस कार्यकर्म में बड़े ही उत्साह के साथ भाग लते है | इस पूरी शोभायात्रा के दौरान जैन भिक्षु एक रथ पर सवार होकर भगवन महावीर स्वामी की प्रतिमा को लेकर हर जगह घुमाते है तथा इसके साथ ही महावीर स्वामी द्वारा बताये गए जीवन के सार को लोगों तक पहुँचाने का कार्य करते है |

महावीर जयंती के उपलक्ष्य में लोग अपने अपने हिसाब से पूजापाठ करते है तथा साथ ही दुनियाभर के हर कोने से लोग भारत के जैन मंदिरों में दर्शन करने के लिये आते है | लोग अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार तरह तरह से मंदिरों में पूजा अर्चना करते है | मंदिरों में जाने के अलावा महावीर और जैन धर्म से सम्बंधित पुरातन स्थानो पर व् लोग आना जाना करते है | जैन धर्म के मंदिरों में से कुछ मंदिर जैसे सोनागिरी,गोमतेश्वर , रणकपुर,दिलवाडा और शिखरजी आदि प्रमुख है | महावीर जयंती मुख्य रूप से भगवन महावीर स्वामी के जन्म के उपलक्ष्य और जैन धर्म के स्थापना के उपलक्ष्य में मनाई जाती है |

महावीर जयंती का शुभ मुहूर्त:-

महावीर जयंती में 4 अप्रैल को मनाई जाएगी | त्रियोदशी तिथि का आरम्भ 4 अप्रैल  को 07:16 बजे से आरम्भ होगा और इसकी समाप्ति 5 अप्रैल को 04:12 बजे होगी |

तो इस प्रकार इस पोस्ट के माध्यम से हमने देखा की महावीर जयंती किस तारीख और किस समय पर मनाई जाएगी | साथ ही हमने भगवान महावीर स्वामी के कार्यो तथा समाज के लिए लिए गए कार्यो को भी देखा | जैन धर्म के 24 वे तथा आखिरी तीर्थंकर महावीर स्वामी थे | दुनियाभर में लोगों का महावीर जयंती मानाने का अलग अलग तरीका है |

जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के नाम :-

  1. ऋषभदेव
  2. अजितनाथ
  3. सम्भवनाथ
  4. अभिनंदनन
  5. सुमतिनाथ
  6. पद्मप्रभ
  7. सुपार्श्वनाथ
  8. चन्द्रप्रभ
  9. पुष्पदंत
  10. शीतलनाथ
  11. श्रेयांसनाथ
  12. वासुपूज्य
  13. विमलनाथ
  14. अनंतनाथ
  15. धर्मनाथ
  16. शांतिनाथ
  17. कुंथुनाथ
  18. अरनाथ
  19. मल्लिनाथ
  20. मुनिसुब्रना
  21. नमिनाथ
  22. नेमिनाथ
  23. पार्श्वनाथ
  24. वर्धमान महावीर

ये 24 तीर्थंकरो के नाम है| इन सभी ने जैन धर्म को आगे बढ़ाने में अपना अपना योगदान दिया है | जैन धर्म अज पुरे भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है | इस त्यौहार को बड़ो के साथ साथ बच्चे भी बड़े उत्साह के साथ मानते है |

Mahavir jayanti 4 april /(महाबीर जयंती 4 अप्रैल) के कुछ अंतिम शब्द:

जैसा की हमने आपसे कहा था, हम Mahavir jayanti 4 april /(महाबीर जयंती 4 अप्रैल ) से जूरी हर छोटी बरी जानकारी अप सभी से साझा करेंगे | तो हमने अपने पाठको के लिया Mahavir jayanti 4 april  /(महाबीर जयंती 4 अप्रैल ) से जूरी हर एक जानकारी देने की कोशिश इस पोस्ट में की है, ताकि हमारे पाठक किसी दुसरे आर्टिकल में जाने की जरुरत न हो|

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30 MARCH 2023 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए?

लेखक: गुड्डू राय

भारत एक विशालकाय देश है| इसमें कई राज्यों का समावेश है| भिन्न भिन्न रस्मो रिवाजो से घिरे हमारे देश का इतिहास बहुत गौरव पूर्ण रहा है| लेकिन अगर हम अपने पीछे मुरकर देखे तो भरत आजादी से पहले कई अलग अलग प्रान्तों में बता हुआ था| भारत के विभिन्न नेताओ द्वारा उन्हें भारत में मिलाया गया| उसी प्रकार आज हम 30 MARCH 2023 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए? को जानेंगे| देखंगे की किस प्रकार हमारे देश में देश की पिंक सिटी के नाम से मशहुर जयपुर जो राजस्थान में स्थित है जानेंगे कि की प्रकार राजस्थान दिवस की स्थापना हुई| यहाँ के लोग बाबा खाटू श्याम भगवान को बहुत मानते है|

30 MARCH 2021 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए?

राजस्थान दिवस:

राजस्थान राज्य की स्थापना दिवस हर वर्ष  30 मार्च को बारे ही धूम धाम से मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर जैसे बारे बारे रियासतों का विलय भारत में होकर ‘राजस्थान’ नामक राज्य बनाया गया । और वही दिन से राजस्थान की स्थापना का दिन मानाया जाता है।
इस दिन राजस्थान के रहने वाले लोगों की वीरता, इच्छाशक्ति तथा बलिदान को याद कर उन्हें नमन किया जाता है। इस जगह की लोक कलाएं,लोक नृत्य, संस्कृति, महल, आदि पुरे भारत देश में एक अलग पहचान रखते हैं। इस दिन कई प्रकार के उत्सव और तरह तरह के आयोजन जगह जगह पर होते हैं जिनमें राजस्थान की संस्कृति का  झलक प्रदर्शन होता है
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राजस्थान दिवस की स्थापना:

भारत में राजस्थान शब्द का अर्थ- ‘राजाओं का स्थान’ अदि काल से यह प्रान्त में  गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि राजाओ ने राज किया है ।अंग्रेज सरकार द्वारा भारत को आज़ादी दने की घोषणा करने के उपरांत जब सत्ता की रूपांतरण की कार्रवाई शुरू की गई, तब ही एसा प्रतीत हो गया था कि भारत की आजादी के उपरांत राजस्थान प्रांत बनया जाएगा और राजपूताना के वर्तमान हिस्से का भारत में मिलकर एक बारे राज्य की स्थापना की जाएगी |
तत्कालीन समय में राजस्थान की भौगालिक रूप को गौर से  देखा जाय तो राजपूताना के इस भाग में कुल बाईस रियासतें थी। इनमें से एक रियासत अजमेर मेरवाड प्रांत को छोड़ कर सभी रियासतों पर देशी राजे- महाराजाओं का ही शाशन था।
अजमेर-मेरवाड प्रांत पर अंग्रेजी सरकार का शासन था। इसी कारण यह प्रान्त सीधे ही स्वतंत्र के बाद भारत में सम्मिलित हो गई, मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय होना इतना आसन नहीं था| एकीकरण कर ‘राजस्थान’ नामक प्रांत बनाया जाना इतना आसान नहीं था।
सत्ता के लालच भरे लोगो के लिए यह करना बहुत कठिन होता जा रहा था| क्योंकि इन रियासतों के शासक अपनी रियासतों को भारत में सम्मिलित नहीं होना चाहते थे| भारत की आजादी के पश्चात उन रियासतों को अलग  रूप में देख रहे थे। उनका मानना थी कि वे वर्षो से खुद के राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, अत: उन्हें इसका बर्षो से अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए।
 तकरीबन एक दशक की विरोध के बाद 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की क्रिया लघभग सात चरणों में 1 नवंबर 1956 को समाप्त हुई । इसमें भारत सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण था। इनकी सूझबूझ और इनकी राजनीती के बदौलत ही राजस्थान के वर्तमान रूप का कार्य समाप्त हो सका|
30 MARCH 2021 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए?

राजस्थान का इतिहाश:

राजस्थान का इतिहास बहुत गौरव से भरा हुआ है, यहाँ पर रंजित सिंह जैसे वीर तो थे ही साथ ही साथ पद्मावती जैसे यहाँ की औरते और महिलाए भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में पीछे नहीं हटी ।
शौर्य और सम्मान ही नहीं बल्कि हमारी धरती के वीर पुत्रो ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाया और देश तथा पूरी दुनिया में राजस्थान के नाम का परचम लहराया।
राजस्थान की पावन धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लेकर यहाँ की मिट्टी को सुसोभित किया है। यहां की वीरांगनाओं ने अपनि त्याग और बलिदान से मातृभूमि के कर्ज को अदा किया है।राजस्थान का वीर कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने यहाँ जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी को पराजित किया।
लोगो का मानना है कि मुहम्मद ग़ोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था जिसमें 17 बार उन्हें पराजित होना पड़ा। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 वर्षीय पुत्र पृथ्वी ने अपने  हाथों से औरंगजेब के खूंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था।
राजस्थान के वीर पुत्र राणा सांगा ने सौ से भी अधिक युद्ध लड़करअपने साहस का परिचय दिया । उन्होंने राणा पूंजा भील की मदद से मुग़ल शासक को हराया था|
पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा /पाली के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी बाघेली का बलिदान भी राजस्थान के इतिहास में अमर है। जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं|
30 MARCH 2021 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए?

सात भागो में राजस्थान का विलय भारत में हुआ:

भारत में सम्मिलित करना इतने बारे राज्य को,तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के लिए अस्सं नहीं था| भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल ने सात चरणों में राजस्थान का विलय भारत में किया| वे इस प्रकार है:
1.18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर ‘मत्स्य संघ’ बना। धौलपुर के तत्कालीन राजा उदयसिंह को राजप्रमुख और अलवर नमक स्थान को राजधानी बनाइ गई।
2. 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ और शाहपुरा का विलय भारत में होकर राजस्थान संघ का निर्माण हुआ।
3.18 अप्रैल,1948 को उदयपुर का विलय हुआ । उदौपुर का अन्य नाम ‘संयुक्त राजस्थान संघ’ रखा दिया गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह को  राजप्रमुख बनया गया।
4. 30 मार्च,1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर का विलय हुआ और ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना। यही राजस्थान की स्थापना का दिन के रूप में मानाया  जाता है।
5. 15 अप्रेल,1949 को ‘मत्स्य संघ’ का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय किया गया।
6.26 जनवरी, 1950 को सिरोही को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिला लिया गया।
7.1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का राजस्थान में विलय हुआ|
30 MARCH 2021 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए?

राजस्थान दिवस के उपलक्ष पर आयोजित कार्यक्रम और आयोजन:

इस दिवस पर राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा कई कार्यक्रम का आयोजन किया  जाता हैं। इन आयोजनों का मुख्य स्थान जयपुर होता है। इनमें कैमल टैटू शो, खेलकूद प्रतियोगिताएं, बच्चों के लिए फ़िल्म फेस्टिवल, विभिन्न संभागों की झांकियां एवं नृत्य, भजन, फैशन शो तथा संगीत कॉन्सर्ट का आयोजन शामिल है
पीएम मोदी ने भी राजस्थान दिवस के मौके पर राजस्थान वासियों को बधाई दी। उन्होंने अपने ट्वीटर से ट्विट किया और उसमें लिखा कि ”अपनी समृद्ध संस्कृति और वैभवशाली विरासत के लिए विख्यात राजस्थान के सभी भाइयों और बहनों को राजस्थान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।”
30 MARCH 2021 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए?
 वहीं राजस्था के सीएम गहलोत ने लिखा है ” राजस्थान दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं। राजस्थान शौर्य व साहस का दूसरा नाम है।यहां की धरती रणबांकुरों और वीरांगनाओं की धरती है। सभी प्रदेशवासियों का आह्वान है कि राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश को उन्नति के उच्चतम शिखर पर ले जाने में भागीदारी निभाने का संकल्प लें।”
राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत सरकार 1200 परिवार को खुशखबरी देते हुए प्रदेश में आज के दिन शुभ मौके पर 1200 कैदी को रिहा किया जाएगा। इसमें उन कैदियों को रिहा किया जाने का प्रस्ताव है, जो सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा का भुगतान कर चुके तथा गंभीर बीमारियों से ग्रसित व वृद्ध बंदी हैं। गहलोत ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर जेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक लेने के बाद इस संबंध में फैसला लिया।

अंतिम शब्द:

तो ये थी 30 MARCH 2023 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए? जिसके बारे हम हम अपने इस आर्टिकल में अपने पाठको के लिए साझा किया है| हमने अपने पाठको के लिए साड़ी जानकारी अपने इस आर्टिकल में देने की कोशिश की है जिससे हमारे पाठक को किसी दुसरे अर्तिकल को पढने की जरुरत न हो सके|

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27 MARCH WORLD THEATER DAY IN 2023/ विश्व रंगमंच दिवस की कुछ अनकही बाते जाने 2023 में

लखक:मोनू शर्मा राय

आज के इस वर्तमान दिनों में हमलोग का जीवन भाग दोर वाली हो गई है| जिस तरह से विश्व जल दिवस(WORLD WATER DAY) मनाया जाता है उसी प्रकार विश्व रंगमंच दिवस भी मनाया जाता है| हम अपने रोजमर्रा के जीवन में मनोरंजन का साधन के लिए तरह तरह के चीजो का इस्तेमाल करते है| कोई अपने खली समय में फिल्म  देखने जाते है तो कोई सर्कस का आनन्द लेते हुए पाए जाते है| कोई खेलने के लिए जाता है तो कोई तरह तरह के मेलो में लगे थिएटर को देखने का आनन्द लेते है| लेकिन क्या आपको  WORLD THEATER DAY IN 2022/ विश्व रंगमंच दिवस की कुछ अनकही बाते 2022 में जानना चाहते है| तो ये पोस्ट आपके लिए है|

विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास(HISTORY OF WORLD THEATER DAY):

विश्व रंगमंच दिवस(world theater day) हर वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है| साल  1961 में इंटरनेशनल  थिएटर इंस्टिट्यूट के द्वारा इस दिन की स्थापना की गई थी|  हर वर्ष पूरी विश्व में 27 मार्च के दिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिएटर मनोरंजन होते है|  अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच द्वारा कई तरह के सन्देश दिए जाते है,यह  इस दिन का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है|
इस दिवस पर किसी एक देश के रंगमंच के कलाकार द्वारा विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) दिवस के उपलक्ष पर पुरे विश्व के लिए एक सन्देश आधिकारिक रूप में तैयार किया जाता है| 1962 में फ्रांस के जीन काक्टे पहला अन्तर्राष्ट्रीय सन्देश देने वाले प्रथम कलाकार बने| सन 2002 में, भारत की तरफ से गिरीश कर्नाड ने विश्व रंगमंच के मौके पर इस बरे स्टेज से दुनिया को सन्देश दिया था|| , वह एक मशहूर रंगकर्मी रह चुके हैं,तथा  उनको भी यह उपलब्धि हासिल हुई है की वह इतने बारे मंच से भारत का प्रतिनिधित्व करे|
लोगो का एसा मानना है कि वस्व रंगमंच के मंच से पहला नाटक एथेंस में एक्रोप्लिस में स्थित थिएटर ऑफ़ डायोनिसस में आयोजित हुआ था|  यह आयोजन पांचवीं शदी  के शुरुवाती दिनों में माना जाता था| बाद में, थिएटर का प्रचलन इतना मशहूर हुआ कि पूरे ग्रीस शहर में थिएटर बहुत तेज़ी से फैलने लगा | और इसकी लोकप्रियता धीरे धीरे बढ़ने लगी|
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विश्व रंगमंच की खास बाते:

विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) मनाने का एक मुख्य उद्देश्य लोगों के जीवन में थिएटर की जागरुकता को फैलाना और थिएटर की महत्व को याद दिलाना था|  काफी लम्बे दिनों से थिएटर,मनोरंजन के साथ-साथ  सामाजिक और गंभीर मुद्दों को लेकर लोगो के मन में जागरूकता फैलाने का काम समय समय पर करते रहे हैं|
इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट इसी दिन एक प्रेस कांफ्रेंस जरी करता है,जिसका एकमात्र  मकसद एक थिएटर कलाकार का चयन करना होता है,जो लोगो को एक ख़ास तरह का संदेश देने का कार्य काफी शालीनता और सरलता से कर सके|
इस सन्देश का लगभग 50 से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जाता था जो पूरी  दुनियाभर के अखबारों में छापा जाता था,जिससे लोग प्रभावित होते रहते थे,और एक सकारात्मक संदेस को पूरी दुनिया में फ़ैलाने में मदद ककिया जाता था|

भारत में कैसे आया रंगमंच का प्रचलन:

आज के इस वर्तमान समय में,जहा सारे लोग भाग दौर वाली जिंदगी बिता रहे है, तथा पूरी दुनिया के साथ भारत में भी रंगमंच का प्रचलन कम हो गया है| लोगो का मानना है कि भारत के छत्तीसगढ़ में स्थित रामगढ़ शहर के पहाड़ में एक प्राचीन नाट्यशाला मौजूद है जो महाकवि कालिदास द्वारा बनाया गया है| भारत में जगह -जगह मल्टीप्लेक्स और दूसरे सनसाधनों के बावजूद भी, भारत के कॉलेजो, यूनिर्सिटी में आज भी सामाजिक और गंभीर मुद्दों पर सरको,गलिकुचो,नुक्कड़ तथा रंगमंच पर नाटको का काफी प्रचलन हैं.
 
गुजरात के सूरत शहर विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) के दिवस पर इस दिन को मनाने के लिए एक रंगमंच (थियेटर) (रंगमंच मैराथन) का आयोजन करता है| यह आयोजन 27 मार्च के अधिरात से शुरू होता है और 28 मार्च की अर्धरात्रि तक चलता है। 250 से भी ज्यादा कलाकार अपनी अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए मंच पर उपस्थित होंते है। ‘रंगहोत्र- थिएटर मैराथन’ 24 घंटों में 75 से भी ज्यादा नाटकों का आयोजन करते है, वह भी छह अलग-अलग भाषाओं हिंदी, संस्कृत, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी और बंगाली, में आयोजन किया जाता है।

विश्व रंगमंच दिवस के लक्ष्य, इस दिवस को मानने के कारन:

WORLD THEATER DAY के कुछ लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है,जो निम्नलिखित है:
1 पूरे विश्व के सभी रूपों में रंगमंच को बढ़ावा और लोगो को जागरूक बनाना इसका दिवस लक्ष्य है| 2. सभी लोगों को सभी तरह के रंगमंच के सभी रूपों के महत्त्व से अवगत कराना | 3. थिएटर समुदायों के कार्य को बारे स्तर में बढ़ावा देना,तथा सरकारो और राजनेतिक नेतागन रंगमंच के सभी तरह के रूपों से अवगत हों और इसके सहयोग में अपना योगदान दे | 3.लोगो को स्वयं के प्रति नाट्य के सभी रूपों में रंगमंच का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करे | 4. रंगमंच (थिएटर) अपने द्वारा आयोजित मतों को सशक्त बनाने में सक्षम हो चुके हैं और कलाकारों को अपनी अपनी भावनाओं एवं संदेशों को व्यापक तौर पर दर्शकों तक पहुंचाने के लिए एक मंच प्रदान किया जाए यह सुनिश्चित किया गया है ।


रंगमंच किसे और क्यों कहा जाता है:

रंगमंच का जब भी बात किया जाता हैं तभी हमारे दृश्य में नाटक, संगीत, तमाशा तथा नृत्य आदि की चावी हमारे मस्तिष्क में घूमने लगती है,लेकिन वास्तव में एसा कुछ नहीं है, रंगमंच ‘रंग’ और ‘मंच’ शब्द सके मेल से बना है अर्थात किसी मंच/फर्श से अपनी कला, संगीत और नृत्य आदि को दृश्य के रूप में लोगो के सामने प्रस्तुत करना।
 
इसे हमारे परोसी देश भूटान,नेपाल सहित पूरे एशिया में रंगमंच के नाम से जाना जाता हैं तथा,पश्चिमी देशों में इसे थियेटर कहकर बुलाया जाता है। ‘थियेटर’ शब्द रंगमंच का ही अंग्रेजी रूप है और इसे प्रदर्शित करने वाले जगह को प्रेक्षागार और रंगमंच सहित समूचे भवन को रंगशाला/नाट्शाला अथवा थियेटर और ओपेरा के नाम से जाना जाता है।
 

अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आईटीआई):

अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच की स्थापना वर्ष 1948 में यूनेस्को की सहायता द्वारा थिएटर और नृत्य के विशेषज्ञों की सहायता से बनाया गया।यह रंगमंच संस्थान 100 से भी अधिक केंद्रों के साथ दुनिया भर के सहयोग से प्रदर्शन कला के रूप में सबसे बड़े संगठन के नाम पर विकसित हुआ। आईटीआई यूनेस्को, पेरिस में हर साल अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस और विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) दिवस का आयोजन किया जाता है।

 

रंगमंच के कलाकरों को कई तरह की समस्याए:

फ्रांस की जीन काक्टे ने पहली बार 1962 में किसी तरह का संदेस दिया। इस सन्देश की खास बात यह थी की साल 2002 में यह संदेश भारत के प्रसिद्ध थियेटर पर्सन गिरीश कर्नाड द्वारा दिया गया | कला की एक ऐसी विधा है जिसने समय के साथ खुद को एसा बदला है की आज वह खत्म होते जा रहे है|
 
थियेटर हमेशा ही समाज का एक आएना और मनोरंजन के साथ उसे शिक्षित करने का काम भी करता रहा है। हालांकि वर्तमान के इस डिजिटल युग में इसे समाज में वह स्थान नहीं मिला,जिसका यह हकदार था । शायद यही कारण है कि आज टीवी-फिल्म के कलाकारों के मुकाबले एक रंगमंच के कलाकार को सिर्फ दर्शकों की तालियों से संतोष करना पड़ता है।
 
एसा कहना ठीक होगा की आज भी ऐसे कई रंगमंच के कलाकार है जो खुद को सिनेमा जगत की चकाचौंध से दूर किये है,और थियेटर की दुनिया में ही खुश हैं,तथा वही कई ऐसे कलाकार भी है जो थियेटर से फिल्म जगत का बार नाम बन गए है,वह आज भी थियेटर के प्रति अपना प्यार और लगाव नहीं छोड़ पाए हैं।


विश्व रंगमंच (WORLD THEATER DAY) के दिवस पर कुछ QUOTES:

1.विलियम शेक्सपियर ने कहा, “दुनिया का एक मंच, और सभी पुरुष और महिलाएं केवल खिलाड़ी हैं: उनके बाहर निकलने और उनके प्रवेश द्वार हैं, और उनके समय में एक आदमी कई भागों में खेलता है, उनके कृत्यों में सात युग हैं।”
 
2.”अभिनय एक खेल है। मंच पर आपको अपने पैर की उंगलियों पर एक टेनिस खिलाड़ी की तरह चलने के लिए तैयार होना चाहिए। आपकी एकाग्रता उत्सुक होना चाहिए, आपकी सजगता तेज होगी; आपका शरीर और दिमाग शीर्ष गियर में है, पीछा करना ऊर्जा है।” थिएटर में लोग ऊर्जा देखने के लिए भुगतान करते हैं। ” -लाइव स्विफ्ट
 
3.”मैं थिएटर को सभी कला रूपों में सबसे महान मानता हूं, सबसे तात्कालिक तरीका है जिसमें एक इंसान दूसरे के साथ साझा कर सकता है कि वह एक इंसान होने के नाते क्या है।” -ऑस्कर वाइल्ड
 
4.”मैं वास्तव में आप सभी के लिए बहुत खेद व्यक्त करता हूं, लेकिन यह एक अन्यायपूर्ण दुनिया है, और पुण्य केवल नाटकीय प्रदर्शन में विजयी है।” -W.S. गिल्बर्ट
 
5.”इस दर्शकों के लिए हर रात सब कुछ होता है, और यह थियेटर में आने का एक बहुत ही खास अवसर है।” -रोगर रीस
 


विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) के दिवस पर कुछ शायरी:

1. बनकर कठपुतली ही सही आए तो है रंगमंच पर|
न जाने कितने किरदार दब जाते है सांसारिक दबाव पर||
 
2. कुछ थोड़ा सा भटक गए

                    कुछ राहों में अटक गए
                    या किसी बला को खटक गए
                                इन भटक-अटक-खटकों में भी
                                 जो पदचाप बढ़ाये जाता है
                                    धीरे-धीरे से भले सही
                   जो मील पुराये जाता है
                   इनके चलने से ही
                   दिन में सूरज तपता है
                                     तारे जगमग करते है
                                      धरती डोला करती है
                                    सागर में पानी तिरता है
                    जब तक लहू धमनियों में
                  पिघल-पिघल के बहता है
                  जब तक पग बिना थके-हारे
                                   डगमग-डगमग कर डिगता है
                                    इन सब को झुठलाकर मैं
                                     कैसे कह दूँ कि हार गए !

 
 
तो ये थी 27 MARCH WORLD THEATER DAY IN 2022/ विश्व रंगमंच दिवस की कुछ अनकही बाते जाने 2022 में की पूरी जानकारी| हम अपने पाठको के लिए पूरी जानकारी देने की कोसिस की है,जिसमे हमने WORLD THEATER DAY की साडी जानकारी देने की कोशिश की है जिससे हमारे पाठको को WORLD THEATER DAY की हर छोटी बरी जन करी दे सके|
 

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