लेखक: गुड्डू राय
भारत एक विशालकाय देश है| इसमें कई राज्यों का समावेश है| भिन्न भिन्न रस्मो रिवाजो से घिरे हमारे देश का इतिहास बहुत गौरव पूर्ण रहा है| लेकिन अगर हम अपने पीछे मुरकर देखे तो भरत आजादी से पहले कई अलग अलग प्रान्तों में बता हुआ था| भारत के विभिन्न नेताओ द्वारा उन्हें भारत में मिलाया गया| उसी प्रकार आज हम 30 MARCH 2023 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए? को जानेंगे| देखंगे की किस प्रकार हमारे देश में देश की पिंक सिटी के नाम से मशहुर जयपुर जो राजस्थान में स्थित है जानेंगे कि की प्रकार राजस्थान दिवस की स्थापना हुई| यहाँ के लोग बाबा खाटू श्याम भगवान को बहुत मानते है|
राजस्थान दिवस:
राजस्थान राज्य की स्थापना दिवस हर वर्ष 30 मार्च को बारे ही धूम धाम से मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर जैसे बारे बारे रियासतों का विलय भारत में होकर ‘राजस्थान’ नामक राज्य बनाया गया । और वही दिन से राजस्थान की स्थापना का दिन मानाया जाता है।
इस दिन राजस्थान के रहने वाले लोगों की वीरता, इच्छाशक्ति तथा बलिदान को याद कर उन्हें नमन किया जाता है। इस जगह की लोक कलाएं,लोक नृत्य, संस्कृति, महल, आदि पुरे भारत देश में एक अलग पहचान रखते हैं। इस दिन कई प्रकार के उत्सव और तरह तरह के आयोजन जगह जगह पर होते हैं जिनमें राजस्थान की संस्कृति का झलक प्रदर्शन होता है
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राजस्थान दिवस की स्थापना:
भारत में राजस्थान शब्द का अर्थ- ‘राजाओं का स्थान’ अदि काल से यह प्रान्त में गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि राजाओ ने राज किया है ।अंग्रेज सरकार द्वारा भारत को आज़ादी दने की घोषणा करने के उपरांत जब सत्ता की रूपांतरण की कार्रवाई शुरू की गई, तब ही एसा प्रतीत हो गया था कि भारत की आजादी के उपरांत राजस्थान प्रांत बनया जाएगा और राजपूताना के वर्तमान हिस्से का भारत में मिलकर एक बारे राज्य की स्थापना की जाएगी |
तत्कालीन समय में राजस्थान की भौगालिक रूप को गौर से देखा जाय तो राजपूताना के इस भाग में कुल बाईस रियासतें थी। इनमें से एक रियासत अजमेर मेरवाड प्रांत को छोड़ कर सभी रियासतों पर देशी राजे- महाराजाओं का ही शाशन था।
अजमेर-मेरवाड प्रांत पर अंग्रेजी सरकार का शासन था। इसी कारण यह प्रान्त सीधे ही स्वतंत्र के बाद भारत में सम्मिलित हो गई, मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय होना इतना आसन नहीं था| एकीकरण कर ‘राजस्थान’ नामक प्रांत बनाया जाना इतना आसान नहीं था।
सत्ता के लालच भरे लोगो के लिए यह करना बहुत कठिन होता जा रहा था| क्योंकि इन रियासतों के शासक अपनी रियासतों को भारत में सम्मिलित नहीं होना चाहते थे| भारत की आजादी के पश्चात उन रियासतों को अलग रूप में देख रहे थे। उनका मानना थी कि वे वर्षो से खुद के राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, अत: उन्हें इसका बर्षो से अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए।
तकरीबन एक दशक की विरोध के बाद 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की क्रिया लघभग सात चरणों में 1 नवंबर 1956 को समाप्त हुई । इसमें भारत सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण था। इनकी सूझबूझ और इनकी राजनीती के बदौलत ही राजस्थान के वर्तमान रूप का कार्य समाप्त हो सका|
राजस्थान का इतिहाश:
राजस्थान का इतिहास बहुत गौरव से भरा हुआ है, यहाँ पर रंजित सिंह जैसे वीर तो थे ही साथ ही साथ पद्मावती जैसे यहाँ की औरते और महिलाए भी अपनी माटी के लिए कुर्बानी देने में पीछे नहीं हटी ।
शौर्य और सम्मान ही नहीं बल्कि हमारी धरती के वीर पुत्रो ने हर क्षेत्र में कमाल दिखाया और देश तथा पूरी दुनिया में राजस्थान के नाम का परचम लहराया।
राजस्थान की पावन धरती पर रणबांकुरों ने जन्म लेकर यहाँ की मिट्टी को सुसोभित किया है। यहां की वीरांगनाओं ने अपनि त्याग और बलिदान से मातृभूमि के कर्ज को अदा किया है।राजस्थान का वीर कहे जाने वाले पृथ्वीराज चौहान ने यहाँ जन्म लिया, जिन्होंने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी को पराजित किया।
लोगो का मानना है कि मुहम्मद ग़ोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था जिसमें 17 बार उन्हें पराजित होना पड़ा। जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 वर्षीय पुत्र पृथ्वी ने अपने हाथों से औरंगजेब के खूंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था।
राजस्थान के वीर पुत्र राणा सांगा ने सौ से भी अधिक युद्ध लड़करअपने साहस का परिचय दिया । उन्होंने
राणा पूंजा भील की मदद से मुग़ल शासक को हराया था|
पन्ना धाय के बलिदान के साथ बुलन्दा /पाली के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी बाघेली का बलिदान भी राजस्थान के इतिहास में अमर है। जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए वे उन्हें अपनी नवजात राजकुमारी की जगह छुपाकर लाई थीं|
सात भागो में राजस्थान का विलय भारत में हुआ:
भारत में सम्मिलित करना इतने बारे राज्य को,तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल के लिए अस्सं नहीं था| भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल ने सात चरणों में राजस्थान का विलय भारत में किया| वे इस प्रकार है:
1.18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर ‘मत्स्य संघ’ बना। धौलपुर के तत्कालीन राजा उदयसिंह को राजप्रमुख और अलवर नमक स्थान को राजधानी बनाइ गई।
2. 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ और शाहपुरा का विलय भारत में होकर राजस्थान संघ का निर्माण हुआ।
3.18 अप्रैल,1948 को उदयपुर का विलय हुआ । उदौपुर का अन्य नाम ‘संयुक्त राजस्थान संघ’ रखा दिया गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह को राजप्रमुख बनया गया।
4. 30 मार्च,1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर का विलय हुआ और ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना। यही राजस्थान की स्थापना का दिन के रूप में मानाया जाता है।
5. 15 अप्रेल,1949 को ‘मत्स्य संघ’ का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय किया गया।
6.26 जनवरी, 1950 को सिरोही को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिला लिया गया।
7.1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का राजस्थान में विलय हुआ|
राजस्थान दिवस के उपलक्ष पर आयोजित कार्यक्रम और आयोजन:
इस दिवस पर राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा कई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता हैं। इन आयोजनों का मुख्य स्थान जयपुर होता है। इनमें कैमल टैटू शो, खेलकूद प्रतियोगिताएं, बच्चों के लिए फ़िल्म फेस्टिवल, विभिन्न संभागों की झांकियां एवं नृत्य, भजन, फैशन शो तथा संगीत कॉन्सर्ट का आयोजन शामिल है
पीएम मोदी ने भी राजस्थान दिवस के मौके पर राजस्थान वासियों को बधाई दी। उन्होंने अपने ट्वीटर से ट्विट किया और उसमें लिखा कि ”अपनी समृद्ध संस्कृति और वैभवशाली विरासत के लिए विख्यात राजस्थान के सभी भाइयों और बहनों को राजस्थान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।”
वहीं राजस्था के सीएम गहलोत ने लिखा है ” राजस्थान दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं। राजस्थान शौर्य व साहस का दूसरा नाम है।यहां की धरती रणबांकुरों और वीरांगनाओं की धरती है। सभी प्रदेशवासियों का आह्वान है कि राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश को उन्नति के उच्चतम शिखर पर ले जाने में भागीदारी निभाने का संकल्प लें।”
राजस्थान दिवस के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत सरकार 1200 परिवार को खुशखबरी देते हुए प्रदेश में आज के दिन शुभ मौके पर 1200 कैदी को रिहा किया जाएगा। इसमें उन कैदियों को रिहा किया जाने का प्रस्ताव है, जो सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा का भुगतान कर चुके तथा गंभीर बीमारियों से ग्रसित व वृद्ध बंदी हैं। गहलोत ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर जेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक लेने के बाद इस संबंध में फैसला लिया।
अंतिम शब्द:
तो ये थी 30 MARCH 2023 RAJASTHAN DIWAS/ को जाने राजस्थान दिवस की कुछ अनसुनि घटनाए? जिसके बारे हम हम अपने इस आर्टिकल में अपने पाठको के लिए साझा किया है| हमने अपने पाठको के लिए साड़ी जानकारी अपने इस आर्टिकल में देने की कोशिश की है जिससे हमारे पाठक को किसी दुसरे अर्तिकल को पढने की जरुरत न हो सके|
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