ASSAY-ON-GUDI-PADWA-MASSAGE-QUOTES-IN 2023/ गुडी पडवा की पूरी जानकारी जाने हिंदी में?

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लेखक: मोनू शर्मा राय

ASSAY-ON-GUDI-PADWA-दोस्तों हमारा देश भारत विविधताओं का देश है| हमारे देश में अनेक संस्कृति का वास है,और सभी संस्कृति को मनाने वाले लोग अलग अलग है| हम सबके संस्कृति का सम्मान करते हुए सबके पूजा त्यौहार में सारिख होते है| उनके सुख दुःख में उनके साथ रहते है| इतनी सारी संस्कृतियो के मेलजोल का गढ़ भारत है| इसी तरह महाराष्ट्र में एक उत्सव गुडी परवा बहुत धूम धाम से मनया जाता है| अतः हमलोग आज ASSAY-ONGUDI-PADWA-MASSAGE-QUOTES-IN 2021/ गुडी पडवा की पूरी जानकारी जाने हिंदी में? के बारे में जानेंगे| इस आर्टिकल में हम गुडी परवा से सम्बंधित साड़ी जानकारी को उजागर करेंगे|

ASSAY-ON-GUDI-PADWA गुडी परवा का महत्व 2023:

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र सहित,आंध्र प्रदेश और गोवा के साथ दक्षिण भारत के राज्यों में बरे हर्षो-उल्लाश से मनाया जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष को गुड़ी पड़वा का त्यौहार बरे धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन को नव-संवत्सर के रुप में समस्त देश में मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार इस पर्व की कुछ खास मान्यताएं हैं। गुड़ी ध्वज अर्थात झंडे का नाम है और पड़वा, प्रतिपद की तिथि को कहा जाता है। एसा मानना है की इस दिन भगवान ब्रह्मा ने श्रृष्टि का निर्माण किया था।
भारत के दक्षिण में गुड़ी पड़वा की लोकप्रियता का कारण इस पूजा से जुड़ी कहानियों  से समझा जाता है। दक्षिण भारत रामायण काल में बंदरो का मुखिया बालि का राज्य हुआ करता था। जब भगवान श्री राम को पता चला की रावण सीता माता को  अपहरण कर ले गये हैं,तब माता सीता को वापस लाने के लिये भगवान राम को लंकापति रावण से युद्ध करने के लिये सेना की जरुरत थी। बनवास के दौरान भगवान राम जब दक्षिण भारत पहुचे तब उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने बालि के अन्याय को बताते हुए भगवान राम से अपनी सहायता की गुहार लगाई। अतः भगवान श्री राम ने तत्कालीन रजा बालि का वध कर दक्षिण भारत के प्रजाओ को उनसे मुक्त करया। एसा कहा जाता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ही दिन था जिस कारण इस दिन को गुड़ी यानि विजयपताका को फहराया जाता है।
गुडी परवा के दिन लोग अपने घरों में आम के पत्तों की माला बनाकर उसे सजाते हैं। आंध्र प्रदेश,कर्नाटक तथा महाराष्ट्र में इसे हर्षो उल्लास से मनाया जाता है।इस दिन किसानो के घर फसल होने एवं घर में समृद्धि आने की आशाएं भी लोग कामना करते हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इस पर्व का विशेष महत्व है। गुड़ी पड़वा के दिन जो भोजन बनाये जाने है वे खास तौर पर स्वास्थ्य वर्धक होते हैं। चाहे आंध्र प्रदेश में बांटा जाने वाला प्रसाद पच्चड़ी हो और या फिर पुरे महाराष्ट्र में बनाई जाने वाली मीठी रोटी का पूरन-पोली हो। पच्चड़ी के बारे में एसा कहा जाता है कि खाली पेट इसका सेवन करने से चमरे का रोग दूर होने के साथ लोगो का स्वास्थ्य बेहतर होने में मदद मिलती है।वही मीठी रोटी भी गुड़ तथा नीम के फूल आदि से बनती है।
इसी दिन नवरात्र की भी प्रारम्भ होती हैं जिस कारन यह पूजा का उल्लास पूरे देश भर  में अलग-अलग रुपों में देखा जाता है,दुर्गा पूजा के साथ रामनवमी का दिन समाप्त होता है।
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गुडी परवा 2023 की तारीख एवं समय :

हिंदू नव यानि नए संवत्सरारम्भ के दिन गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। यह चैत्र माह के शुक्ल प्रतिपदा को होता है। इसे उगादि भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन से नववर्ष की शुरूवात होती है। गुड़ी पड़वा मंगलवार 13 अप्रैल  2021
तिथि का प्रारम्भ 12 अप्रैल, 2021 सोमवार,सुबह 8 बजे एवं
तिथि की समाप्ति 13 अप्रैल, 2021 मंगलवार को सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक होगी|

कैसे मनाया जाता है गुडी परवा जाने 2023 में:

पुरे महाराष्ट्र राज्य में इस दिन को कई प्रकार के जुलूसो का आयोजित किया जाता हैं। घर के बच्चो को मेले का शैर कराने घर के बारे बुजुर्ग लकर जाते है| लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं,मित्रों एवं परिवारजनों के साथ त्यौहार का आनंद लेते हैं। मनुष्य अपने-अपने घरों में अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाते हैं। महाराष्ट्र में इस पर्व के दिन मीठे चावल बनाए जाते हैं। यह पर्व सूर्योदय से शुरू होकर पूरे दिन चलते हैं।

गुडी पडवा से जुरे कुछ रोचक तथ्य:

पूजा के विधि विधान के अलावा इस पर्व से अहरित कुछ रोचक तथ्यों की जानकारी हमे अलग-अलग लोगो के द्वारा मिलती रहती है क्या है आइये जानते है:
  • गुड़ी पड़वा को महारष्ट्र के लोग नए साल की शुरुआत मानते हैं। इस दिन लोग नई फसल की पूजा करते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर में लाने से बुरी आत्मा दूर रहती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • विक्रम संवत हिंदू पंचांग के तहत्त इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था।
  • छत्रपति शिवाजी ने युद्ध जीतने के बाद पहली बार गुड़ी पड़वा को मनाया था।इसी के बाद हर साल मराठी लोग इस परंपरा का पालन करते हैं।
  •  लोग इस पर्व के दिन नीम की पत्तियों को खाकर दिन की शुरूवात करते हैं। एसा कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन ऐसा करने से खून साफ होता है और शरीर में मजबूत आती है।
  •  इस पर्व को मणिपुर में भी मनाया जाता है

2021 में गुडी पडवा के कुछ अंतिम सब्द:

तो यह थी हमारी पोस्ट जिसमे हमने दुसी परवा क बारे में अपने पोस्ट को आपके साथ साझा किया है,  इस पोस्ट में हमलोगों ने ASSAY-ON-GUDI-PADWA-MASSAGE-QUOTES-IN 2023/ गुडी पडवा की पूरी जानकारी जाने हिंदी में? की साड़ी जानकारी देने की कोशिस की है जिससे हम अपने पाठक को पूरी जानकारी दे सके एवं हर छोटी से छोटी जानकारी दे सके ताकि हमारे पाठक को किसि दुसरे पोस्ट अथवा आर्टिकल में जाने की जरुरत न हो|

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