लखक:मोनू शर्मा राय
आज के इस वर्तमान दिनों में हमलोग का जीवन भाग दोर वाली हो गई है| जिस तरह से विश्व जल दिवस(WORLD WATER DAY) मनाया जाता है उसी प्रकार विश्व रंगमंच दिवस भी मनाया जाता है| हम अपने रोजमर्रा के जीवन में मनोरंजन का साधन के लिए तरह तरह के चीजो का इस्तेमाल करते है| कोई अपने खली समय में फिल्म देखने जाते है तो कोई सर्कस का आनन्द लेते हुए पाए जाते है| कोई खेलने के लिए जाता है तो कोई तरह तरह के मेलो में लगे थिएटर को देखने का आनन्द लेते है| लेकिन क्या आपको WORLD THEATER DAY IN 2022/ विश्व रंगमंच दिवस की कुछ अनकही बाते 2022 में जानना चाहते है| तो ये पोस्ट आपके लिए है|
विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास(HISTORY OF WORLD THEATER DAY):
विश्व रंगमंच दिवस(world theater day) हर वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है| साल 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट के द्वारा इस दिन की स्थापना की गई थी| हर वर्ष पूरी विश्व में 27 मार्च के दिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय थिएटर मनोरंजन होते है| अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच द्वारा कई तरह के सन्देश दिए जाते है,यह इस दिन का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है|
इस दिवस पर किसी एक देश के रंगमंच के कलाकार द्वारा विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) दिवस के उपलक्ष पर पुरे विश्व के लिए एक सन्देश आधिकारिक रूप में तैयार किया जाता है| 1962 में फ्रांस के जीन काक्टे पहला अन्तर्राष्ट्रीय सन्देश देने वाले प्रथम कलाकार बने| सन 2002 में, भारत की तरफ से गिरीश कर्नाड ने विश्व रंगमंच के मौके पर इस बरे स्टेज से दुनिया को सन्देश दिया था|| , वह एक मशहूर रंगकर्मी रह चुके हैं,तथा उनको भी यह उपलब्धि हासिल हुई है की वह इतने बारे मंच से भारत का प्रतिनिधित्व करे|
लोगो का एसा मानना है कि वस्व रंगमंच के मंच से पहला नाटक एथेंस में एक्रोप्लिस में स्थित थिएटर ऑफ़ डायोनिसस में आयोजित हुआ था| यह आयोजन पांचवीं शदी के शुरुवाती दिनों में माना जाता था| बाद में, थिएटर का प्रचलन इतना मशहूर हुआ कि पूरे ग्रीस शहर में थिएटर बहुत तेज़ी से फैलने लगा | और इसकी लोकप्रियता धीरे धीरे बढ़ने लगी|
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विश्व रंगमंच की खास बाते:
विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) मनाने का एक मुख्य उद्देश्य लोगों के जीवन में थिएटर की जागरुकता को फैलाना और थिएटर की महत्व को याद दिलाना था| काफी लम्बे दिनों से थिएटर,मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक और गंभीर मुद्दों को लेकर लोगो के मन में जागरूकता फैलाने का काम समय समय पर करते रहे हैं|
इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट इसी दिन एक प्रेस कांफ्रेंस जरी करता है,जिसका एकमात्र मकसद एक थिएटर कलाकार का चयन करना होता है,जो लोगो को एक ख़ास तरह का संदेश देने का कार्य काफी शालीनता और सरलता से कर सके|
इस सन्देश का लगभग 50 से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जाता था जो पूरी दुनियाभर के अखबारों में छापा जाता था,जिससे लोग प्रभावित होते रहते थे,और एक सकारात्मक संदेस को पूरी दुनिया में फ़ैलाने में मदद ककिया जाता था|
भारत में कैसे आया रंगमंच का प्रचलन:
आज के इस वर्तमान समय में,जहा सारे लोग भाग दौर वाली जिंदगी बिता रहे है, तथा पूरी दुनिया के साथ भारत में भी रंगमंच का प्रचलन कम हो गया है| लोगो का मानना है कि भारत के छत्तीसगढ़ में स्थित रामगढ़ शहर के पहाड़ में एक प्राचीन नाट्यशाला मौजूद है जो महाकवि कालिदास द्वारा बनाया गया है| भारत में जगह -जगह मल्टीप्लेक्स और दूसरे सनसाधनों के बावजूद भी, भारत के कॉलेजो, यूनिर्सिटी में आज भी सामाजिक और गंभीर मुद्दों पर सरको,गलिकुचो,नुक्कड़ तथा रंगमंच पर नाटको का काफी प्रचलन हैं.
गुजरात के सूरत शहर विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) के दिवस पर इस दिन को मनाने के लिए एक रंगमंच (थियेटर) (रंगमंच मैराथन) का आयोजन करता है| यह आयोजन 27 मार्च के अधिरात से शुरू होता है और 28 मार्च की अर्धरात्रि तक चलता है। 250 से भी ज्यादा कलाकार अपनी अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए मंच पर उपस्थित होंते है। ‘रंगहोत्र- थिएटर मैराथन’ 24 घंटों में 75 से भी ज्यादा नाटकों का आयोजन करते है, वह भी छह अलग-अलग भाषाओं हिंदी, संस्कृत, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी और बंगाली, में आयोजन किया जाता है।
विश्व रंगमंच दिवस के लक्ष्य, इस दिवस को मानने के कारन:
WORLD THEATER DAY के कुछ लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है,जो निम्नलिखित है:
1 पूरे विश्व के सभी रूपों में रंगमंच को बढ़ावा और लोगो को जागरूक बनाना इसका दिवस लक्ष्य है| 2. सभी लोगों को सभी तरह के रंगमंच के सभी रूपों के महत्त्व से अवगत कराना | 3. थिएटर समुदायों के कार्य को बारे स्तर में बढ़ावा देना,तथा सरकारो और राजनेतिक नेतागन रंगमंच के सभी तरह के रूपों से अवगत हों और इसके सहयोग में अपना योगदान दे | 3.लोगो को स्वयं के प्रति नाट्य के सभी रूपों में रंगमंच का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करे | 4. रंगमंच (थिएटर) अपने द्वारा आयोजित मतों को सशक्त बनाने में सक्षम हो चुके हैं और कलाकारों को अपनी अपनी भावनाओं एवं संदेशों को व्यापक तौर पर दर्शकों तक पहुंचाने के लिए एक मंच प्रदान किया जाए यह सुनिश्चित किया गया है ।
रंगमंच किसे और क्यों कहा जाता है:
रंगमंच का जब भी बात किया जाता हैं तभी हमारे दृश्य में नाटक, संगीत, तमाशा तथा नृत्य आदि की चावी हमारे मस्तिष्क में घूमने लगती है,लेकिन वास्तव में एसा कुछ नहीं है, रंगमंच ‘रंग’ और ‘मंच’ शब्द सके मेल से बना है अर्थात किसी मंच/फर्श से अपनी कला, संगीत और नृत्य आदि को दृश्य के रूप में लोगो के सामने प्रस्तुत करना।
इसे हमारे परोसी देश भूटान,नेपाल सहित पूरे एशिया में रंगमंच के नाम से जाना जाता हैं तथा,पश्चिमी देशों में इसे थियेटर कहकर बुलाया जाता है। ‘थियेटर’ शब्द रंगमंच का ही अंग्रेजी रूप है और इसे प्रदर्शित करने वाले जगह को प्रेक्षागार और रंगमंच सहित समूचे भवन को रंगशाला/नाट्शाला अथवा थियेटर और ओपेरा के नाम से जाना जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आईटीआई):
अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच की स्थापना वर्ष 1948 में यूनेस्को की सहायता द्वारा थिएटर और नृत्य के विशेषज्ञों की सहायता से बनाया गया।यह रंगमंच संस्थान 100 से भी अधिक केंद्रों के साथ दुनिया भर के सहयोग से प्रदर्शन कला के रूप में सबसे बड़े संगठन के नाम पर विकसित हुआ। आईटीआई यूनेस्को, पेरिस में हर साल अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस और विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) दिवस का आयोजन किया जाता है।
रंगमंच के कलाकरों को कई तरह की समस्याए:
फ्रांस की जीन काक्टे ने पहली बार 1962 में किसी तरह का संदेस दिया। इस सन्देश की खास बात यह थी की साल 2002 में यह संदेश भारत के प्रसिद्ध थियेटर पर्सन गिरीश कर्नाड द्वारा दिया गया | कला की एक ऐसी विधा है जिसने समय के साथ खुद को एसा बदला है की आज वह खत्म होते जा रहे है|
थियेटर हमेशा ही समाज का एक आएना और मनोरंजन के साथ उसे शिक्षित करने का काम भी करता रहा है। हालांकि वर्तमान के इस डिजिटल युग में इसे समाज में वह स्थान नहीं मिला,जिसका यह हकदार था । शायद यही कारण है कि आज टीवी-फिल्म के कलाकारों के मुकाबले एक रंगमंच के कलाकार को सिर्फ दर्शकों की तालियों से संतोष करना पड़ता है।
एसा कहना ठीक होगा की आज भी ऐसे कई रंगमंच के कलाकार है जो खुद को सिनेमा जगत की चकाचौंध से दूर किये है,और थियेटर की दुनिया में ही खुश हैं,तथा वही कई ऐसे कलाकार भी है जो थियेटर से फिल्म जगत का बार नाम बन गए है,वह आज भी थियेटर के प्रति अपना प्यार और लगाव नहीं छोड़ पाए हैं।
विश्व रंगमंच (WORLD THEATER DAY) के दिवस पर कुछ QUOTES:
1.विलियम शेक्सपियर ने कहा, “दुनिया का एक मंच, और सभी पुरुष और महिलाएं केवल खिलाड़ी हैं: उनके बाहर निकलने और उनके प्रवेश द्वार हैं, और उनके समय में एक आदमी कई भागों में खेलता है, उनके कृत्यों में सात युग हैं।”
2.”अभिनय एक खेल है। मंच पर आपको अपने पैर की उंगलियों पर एक टेनिस खिलाड़ी की तरह चलने के लिए तैयार होना चाहिए। आपकी एकाग्रता उत्सुक होना चाहिए, आपकी सजगता तेज होगी; आपका शरीर और दिमाग शीर्ष गियर में है, पीछा करना ऊर्जा है।” थिएटर में लोग ऊर्जा देखने के लिए भुगतान करते हैं। ” -लाइव स्विफ्ट
3.”मैं थिएटर को सभी कला रूपों में सबसे महान मानता हूं, सबसे तात्कालिक तरीका है जिसमें एक इंसान दूसरे के साथ साझा कर सकता है कि वह एक इंसान होने के नाते क्या है।” -ऑस्कर वाइल्ड
4.”मैं वास्तव में आप सभी के लिए बहुत खेद व्यक्त करता हूं, लेकिन यह एक अन्यायपूर्ण दुनिया है, और पुण्य केवल नाटकीय प्रदर्शन में विजयी है।” -W.S. गिल्बर्ट
5.”इस दर्शकों के लिए हर रात सब कुछ होता है, और यह थियेटर में आने का एक बहुत ही खास अवसर है।” -रोगर रीस
विश्व रंगमंच(WORLD THEATER DAY) के दिवस पर कुछ शायरी:
1. बनकर कठपुतली ही सही आए तो है रंगमंच पर|
न जाने कितने किरदार दब जाते है सांसारिक दबाव पर||
2. कुछ थोड़ा सा भटक गए
कुछ राहों में अटक गए
या किसी बला को खटक गए
इन भटक-अटक-खटकों में भी
जो पदचाप बढ़ाये जाता है
धीरे-धीरे से भले सही
जो मील पुराये जाता है
इनके चलने से ही
दिन में सूरज तपता है
तारे जगमग करते है
धरती डोला करती है
सागर में पानी तिरता है
जब तक लहू धमनियों में
पिघल-पिघल के बहता है
जब तक पग बिना थके-हारे
डगमग-डगमग कर डिगता है
इन सब को झुठलाकर मैं
कैसे कह दूँ कि हार गए !
तो ये थी 27 MARCH WORLD THEATER DAY IN 2022/ विश्व रंगमंच दिवस की कुछ अनकही बाते जाने 2022 में की पूरी जानकारी| हम अपने पाठको के लिए पूरी जानकारी देने की कोसिस की है,जिसमे हमने WORLD THEATER DAY की साडी जानकारी देने की कोशिश की है जिससे हमारे पाठको को WORLD THEATER DAY की हर छोटी बरी जन करी दे सके|
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