महाबीर जयंती 4 अप्रैल | Mahavir jayanti 4 april-hindimetrnd.in

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लेखक:मोनू शर्मा राय

हमारा देश विविधताओ का देश है| हमारे देश में कई तरह के भाषाए बोली जाती है कई तरह के संस्कृति का समावेश है उनमे से जैन धर्म भी अंक तरह के धर्म के सामान एक महत्वपूर्ण धर्म है| इस धर्म के मानने वाले मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते है| विलियम शेक्पियर के जन्म दिवस के एक दिन पहले इस बार महाबीर जयंती मनाया जाएगा  में | क्या आप Mahavir jayanti 4 april(महाबीर जयंती 4 अप्रैल ) के बारे में जानना चाहते है? आगरा आपका जवाब हा ही तो यह पोस्ट अप के लिए है जिसमे हम Mahavir jayanti 4 april(महाबीर जयंती 4 अप्रैल) के बारे में साडी जानकारी आप सभी से  साझा करेंगे|

Mahavir jayanti महाबीर जयंती :-

महावीर जयंती के पीछे क्या धारणा है और इसकी विशेष बात क्या है?

महावीर स्वामी का जन्म चैत्र महीना के शुक्ल पक्ष की त्रयोदसी को 599 इसवी पूर्व बिहार के लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और वंहा की महारानी त्रिशला के घर पर हुआ था | ये जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे | इनके बचपन का नाम वर्धमान था | महावीर स्वामी के जन्म के बाद राज्य दिन पर दिन तरक्की कर रहा था | यही कारन है की इनका नाम वर्धमान रखा गया | जैन अनुयायिओं द्वारा महावीर जयंती का त्यौहार हर वर्ष पूरी दुनिया में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है| जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे जिनके निर्वाण प्राप्त करने के करीबन 188 वर्ष बाद महावीर स्वामी का जन्म हुआ था | उन्होंने पूरी दुनिया को एक सन्देश दिया जो था ” अहिंसा परमो धर्म:” अर्थात इसका मतलब ये है की अहिंसा ही अभी धर्मो में सर्वोपरि है और इसके द्वारा उन्होंने पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया | सबसे पहले महावीर स्वामी ने स्वयं अहिंसा के मार्ग को अपनाया और फिर पूरी दुनिया को इस मार्ग को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया | इनका एक ओर मूल मंत्र है और वो है ” जियो और जीने दो |” ये भी पढ़े:संत गुरु रबिदाश जयंती

बर्धमान से जुडी कुछ रोचक बातें:-

जैन धर्म को मानने वाले अनुयायीयों का यह मानना है की वर्धमान की आयु जब 12 वर्ष की थी तब उन्होंने कठोर तपस्या करके अपनी इन्द्रियों पर विजय हासिल कर ली थी | जिसके करना उन्हें विजेता कहा गया | उनके द्वारा किया गया यह तप किसी पराक्रम से कम नहीं था | और उनके द्वारा किये गए इस तप के कारन ही उनके महावीर नाम से संबोधित किया गया | उनके मार्ग पर जो लोग चलते थे वे लोग जैन कहलाने लगे | जैन का मतलन होता है “जिन के अनुयायी |” जैन धर्म का अर्थ होता है “जिन द्वारा परिवर्तित धर्म |” भगवन महावीर स्वामी ने दीक्षा लेने के बाद कठिन दिगंबर चर्या को अंगीकार किया और साथ ही निर्वस्त्र भी रहे | श्वेताम्बर संप्रदाय के अनुसार महावीर स्वामी ने दीक्षा लेने के उपरांत कुछ समय छोड़कर बिना वस्त्र रहे | उन्होंने दिगंबर अवस्था में ही ज्ञान की प्राप्ति की | ऐसा कहा जाता है की भगवान महावीर स्वामी ने अपने पुरे साधना काल के दोरान किसी से बात नहीं की अर्थात वे मौन रहे |

महावीर स्वामी द्वारा पालित पांच सिद्धांत:-

मोक्ष प्राप्त करने के बाद महावीर स्वामीजी द्वारा पांच सिद्धांत दर्शाए गए जो समृद्ध जीवन और आन्तरिक शांति की और ले जाते है | इनके द्वारा दिए गए सिद्धांत कुछ इस तरह है – सत्य , अस्तेय, अहिंसा , ब्रह्मचर्यं और सबसे अंतिम है अपरिग्रह |

  1. महावीर स्वामी द्वारा दिया गया पहला सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार चाहे कोई भी परिस्थिति हो जैनों को हिंसा से दूर रहना चाहिए | भूल कर भी किसी को भी कस्ट नहीं पहुचाना है |
  2. महावीर स्वामी द्वारा दिया गया दूसरा सिद्धांत है सत्य ‘भगवान महावीर का कहना है की सच ही सबसे सच्चा तत्व है जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है वह तैरकर और आराम से मृत्यु को पार कर जाता है इसलिए लोगों को हमेशा सत्य ही बोलना चाहिये |
  3. महावीर स्वामी द्वारा दिया गया तीसरा सिद्धांत है अस्तेय , अर्थात अस्तेय को पालन करने वाले लोग किसी व् रूप में अपनी इच्छा और अपने मन के मुताबिक वस्तु को ग्रहण नहीं करते है | इस सिद्धांत को मानने वाले लोग संयम से रहते है और केवल वही वस्तु लेते है जो उन्हें दी जाती है |

4.भगवन स्वामी द्वारा दिया गया चोथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य अर्थात इस सिद्धांत को पालन करने के लिए जैनों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है , इसका पालन करने वाले लोग किसी भी प्रकार की कामुक गतिविधियो में भाग नहीं ले सकते है |

  1. उनके द्वारा दिया गया पांचवा और अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह , अर्थात यह शिक्षा पिछले सभी सिद्धांतो को जोडती है | अपरिग्रह का पालन करके जैनों की चेतना को जगाती है और वे लोग सांसारिक वस्तुओं के साथ साथ भोग की वस्तुओं का भी त्याग कर देते है |

Mahavir jayanti/महावीर जयंती के उत्सव गतिविधि:-

जो लोग जैन धर्म का अनुसरण करते है वे लोग ऐसी कई तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेते है जो गतिविधियाँ उनलोगों को अपने परिवार और परिजनों से जुड़ने का मौका देते है और साथ ही भगवन महावीर स्वामी को याद करने का मौका भी देते है |

महावीर जयंती के उपलक्ष्य में लोग महावीर स्वामी की प्रतिमा को जल तथा तरह तरह के सुगन्धित तेलों से धोते है | इसका कारन यह की ये सब भगवान महावीरजी की शुद्धता का प्रतिक है | इसके साथ ही यह नियमित पूजी जाने वाली बहुत सुन्दर धार्मिक प्रतिमाओं को धोने के व्यवहारिक उदेश्यों को भी पूरा करता है | दुनिया की बहुत सी ऐसी जगह है जहाँ जैन धर्म को मानने वाले लोगो द्वारा भगवन महावीर स्वामी की प्रतिमा को लेकर सुन्दर शोभायात्रा निकली जाती है | इस शोभायात्रा में बच्चो द्वारा तरह तरह की सुन्दर झांकियां प्रस्तुत की जाती है | बच्चे इस कार्यकर्म में बड़े ही उत्साह के साथ भाग लते है | इस पूरी शोभायात्रा के दौरान जैन भिक्षु एक रथ पर सवार होकर भगवन महावीर स्वामी की प्रतिमा को लेकर हर जगह घुमाते है तथा इसके साथ ही महावीर स्वामी द्वारा बताये गए जीवन के सार को लोगों तक पहुँचाने का कार्य करते है |

महावीर जयंती के उपलक्ष्य में लोग अपने अपने हिसाब से पूजापाठ करते है तथा साथ ही दुनियाभर के हर कोने से लोग भारत के जैन मंदिरों में दर्शन करने के लिये आते है | लोग अपनी अपनी श्रद्धा के अनुसार तरह तरह से मंदिरों में पूजा अर्चना करते है | मंदिरों में जाने के अलावा महावीर और जैन धर्म से सम्बंधित पुरातन स्थानो पर व् लोग आना जाना करते है | जैन धर्म के मंदिरों में से कुछ मंदिर जैसे सोनागिरी,गोमतेश्वर , रणकपुर,दिलवाडा और शिखरजी आदि प्रमुख है | महावीर जयंती मुख्य रूप से भगवन महावीर स्वामी के जन्म के उपलक्ष्य और जैन धर्म के स्थापना के उपलक्ष्य में मनाई जाती है |

महावीर जयंती का शुभ मुहूर्त:-

महावीर जयंती में 4 अप्रैल को मनाई जाएगी | त्रियोदशी तिथि का आरम्भ 4 अप्रैल  को 07:16 बजे से आरम्भ होगा और इसकी समाप्ति 5 अप्रैल को 04:12 बजे होगी |

तो इस प्रकार इस पोस्ट के माध्यम से हमने देखा की महावीर जयंती किस तारीख और किस समय पर मनाई जाएगी | साथ ही हमने भगवान महावीर स्वामी के कार्यो तथा समाज के लिए लिए गए कार्यो को भी देखा | जैन धर्म के 24 वे तथा आखिरी तीर्थंकर महावीर स्वामी थे | दुनियाभर में लोगों का महावीर जयंती मानाने का अलग अलग तरीका है |

जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के नाम :-

  1. ऋषभदेव
  2. अजितनाथ
  3. सम्भवनाथ
  4. अभिनंदनन
  5. सुमतिनाथ
  6. पद्मप्रभ
  7. सुपार्श्वनाथ
  8. चन्द्रप्रभ
  9. पुष्पदंत
  10. शीतलनाथ
  11. श्रेयांसनाथ
  12. वासुपूज्य
  13. विमलनाथ
  14. अनंतनाथ
  15. धर्मनाथ
  16. शांतिनाथ
  17. कुंथुनाथ
  18. अरनाथ
  19. मल्लिनाथ
  20. मुनिसुब्रना
  21. नमिनाथ
  22. नेमिनाथ
  23. पार्श्वनाथ
  24. वर्धमान महावीर

ये 24 तीर्थंकरो के नाम है| इन सभी ने जैन धर्म को आगे बढ़ाने में अपना अपना योगदान दिया है | जैन धर्म अज पुरे भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है | इस त्यौहार को बड़ो के साथ साथ बच्चे भी बड़े उत्साह के साथ मानते है |

Mahavir jayanti 4 april /(महाबीर जयंती 4 अप्रैल) के कुछ अंतिम शब्द:

जैसा की हमने आपसे कहा था, हम Mahavir jayanti 4 april /(महाबीर जयंती 4 अप्रैल ) से जूरी हर छोटी बरी जानकारी अप सभी से साझा करेंगे | तो हमने अपने पाठको के लिया Mahavir jayanti 4 april  /(महाबीर जयंती 4 अप्रैल ) से जूरी हर एक जानकारी देने की कोशिश इस पोस्ट में की है, ताकि हमारे पाठक किसी दुसरे आर्टिकल में जाने की जरुरत न हो|

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