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स्वामी दयानंद सरस्वती को किसने मारने का षड्यंत्र रचा जाने हिंदी में?| BIOGRAPHY OF SWAMI DAYANAND SARSWATI

लेखक:गुड्डू राय

BIOGRAPHY OF SWAMI DAYANAND SARSWATI IN 2021 / स्वामी दयानंद सरस्वती को किसने मारने का षड्यंत्र रचा जाने हिंदी में?

आज हमलोग देश के महान शक्सियत के बारे में जानेंगे,जिन्होंने अपने जीवन काल में भारत में व्याप्त बाह्य आडम्बरो को खत्म करने की कोसीस की और सफलता प्राप्त की| लोग कहते है की एक व्यक्ति अकेले क्या क्र सकते है लेकिन अगर हर एक व्यक्ति छोटी छोटी सुधार करने की सोचे तो बहुत कुछ बदल सकता है| आज हम  BIOGRAPHY OF SWAMI DAYANAND SARSWATI IN / स्वामी दयानंद सरस्वती को किसने मारने का षड्यंत्र रचा जाने हिंदी में? जाने 2023 में के बारे में जानेंगे| जिससे हमारे पाठको को पूरी जानकारी मिले|

संक्षिप्त में सवामी दयानंद के जन्म  सार और निबंध :

स्वामी दयान्दं सरस्वती का मूल नाम या यु कहे की उनके बचपन का नाम मूलशंकर था| उनका जन्म गुजरात राज्य कठियावर क्षेत्र में एक छोटे से गाँव टंकरा  में 12 फ़रवरी 1824 को हुआ था| इनके पिता का नाम कृष्णलाल जी तिवारी थे और माता का नाम यासोदाबाई था| इनके पिता एक कर-कलेक्टर थे| ब्राह्मण परिवार में जन्मे दयान्दं का बचपन काफी अमीरी में गुजरा| उनके पिता कर कलेक्टर होने के कारन काफी आमिर थे| गाँव के अमिरोमे उनका नाम भी आता था| स्वामी का प्रारम्भिक जीवन खुशहाली से भरपूर था|
वे इस्वर में विस्वास रखने वाले इस्वर भक्त थे,हालाँकि वे ब्राह्मण परिवार से थे इसलिए उनमें इस्वर में भक्ति कुछ ज्यादा ही थी एसा लोगो का मानना है,वे एक मेधावी बालक थे,ब्राह्मण परिवार से होने के कारन पिता के द्वारा उन्हें वेदों का ज्ञान समय समय पर मिलता रहा अतः बालक मूलशंकर को वेदों का पूरा ज्ञान था|पण्डित बनने के लिए संस्कृत,वेदों, श्लोको काअध्ययन लिया|  स्वामी दयान्दं को वेदों की व्यख्यान करते थे,वे जहा भी जाते वेदों का उपदेश देते रहते थे अतः उन्हें लोग ऋषि कहने लगे|

स्वामी दयानन्द की शिवरात्रि की घटना:

बाल्यकाल से ही स्वामी जी के मन में अंग्रेजो के प्रति हिन् भाव की द्रिष्टि  थी, उस समय हमारा  देश अंग्रेजो के आधीन था| अतः ब्राह्मण होने के कारन बालक मूलशंकर(बाल्यकाल का नाम) शिवरात्रि के दिन अपने पिता जी जो पण्डित थे उनके साथ शिवरात्रि के पूजन समाप्ति के बाद घर चले गए और घर जाने के पश्चात उनका पूरा सपरिवार मंदिर में जागरण देखने के लिए चले गए| अतः रात्रि ज्यादा होने के कारन उनका पूरा परिवार रात्रि जागरण ले लिए मंदिर में ही रुक गए|
जागरण होने के पश्चात बालक मूलशंकर के सारे परिवार के लोग गहरी निद्रा में सो गए| लेकिन बालक मूलशंकर को नींद नहीं आ रही थी,उनका एसा मानना था की भगवान शिव खुद आएँगे मंदिर में रखे प्रशाद ग्रहण करने, अतः भगवान शिव से मिलने की ललक में वह जगा रहा| तत्पश्चात उसने देखा की भगवान शिव के लिए जो भोग रखा गया था उस प्रशाद को चूहा खा रहा है|
यह देखकर वह बहुत आश्चर्य हुआ और मन ही मन सोचने लगा की इश्वर खुद के चढाए प्रशाद की रक्षा नहीं कर सकता तो वह मानवता की रक्षा कैसे करेंगे? इस बात पर उनके अपने पिता से बहस हो गई|उन्होंने कहा की हमें असहाय इश्वर की उपश्ना नहीं करनी|
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जीवन का अर्थ समझने की कोशिस:

जब स्वामी जी बरे हुए,तब उनके साथ एक घटना घटी जिसे उन्हें जीवन के प्रति उनकी आँखे खोल दी| स्वामी सरस्वती अपने पुरे परिवार के साथ रहते थे,उनके परिवार में उनका चाचा भी था, अतः भारत में फैले हैजे के कारन उनके चाचा और उनके छोटे बहन की मृत्यु हो गई,मूलशंकर के पिता के अनंत कोशिशो के बावजूद भी वह अपनी पुत्री और अपने भाई को बचा न सका| अतः उनका मृत्यु के बाद स्वामी जी मृत्यु और जीवन का अर्थ गहराई से सोचने लगे|
स्वामी जी माता और पिता ने उनका विवाह उनके किशोरावस्था के प्रारंभ में करने का निश्चय किया| 19 वी शादी के प्रारंभ में यह आम बात थी,लेकिन स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने यह निश्चय किया की इन सब चीजो की लिए वह नहीं बना है| अतः 1846 में वे सत्य की खोज के लिए घर से निकल परे|

दयानंद की ज्ञान प्राप्ति:

स्वामी जी ने पुरे भारत का भ्रमण शुरू किया उन्हें अपने जीवन में सत्य का अर्थ खोजना था| उन्होंने पुरे भारत में जहा जहा भी गए अपने ज्ञान की कुंजी साथ लेते गए और वेदों का उपदेस देते गए| वे सन्यासी और वक चिन्तक थे,एक और वे पुरे भारत में वेदों का ज्ञान बाँट रहे थे और दूसरी और जीवन और मृत्यु की खोज में पुरे भारत का भ्रमण कर रहे थे| उनका प्रमुख नारा था वेदों की और लौट| 
 
भारत भ्रमण करते हुए उन्हें मालूम चल गया था की भारत में ऐसे कई सारे आडंबर है जिन्हें दूर करना जरुरी है अतः भ्रमण करते करते वे हरिद्वार के कुम्भ के मेले में पहुचे,जहाँ उन्होंने पाखंड का पताका फहराया और लोगो को आडम्बरो से दूर रहने की हिदायत दी|
उन्होंने भारत भ्रमण करते करते अनेक अनेक शस्त्रार्थ और वेदों का ज्ञान अर्जीत किया| वे कलकत्ता में बाबु केशवचंद्र के संपर्क में आए यही से उन्होंने पुरे वस्त्र धारण करना शुरू किया और हिंदी बोलना प्रारंभ किया|

स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना:

दयानन्द ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा संवत १९३२(सन 1875) को गिन्गाव मुबई में आर्यसमाज की स्थापना की गुरी परवा के दिन| ओउम्(शंस्कृतिक नाम) को आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य है यह समझया|  संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य था| अर्थत शारीरिक,आत्मिक और सामाजिक उन्नति| इस समाज का मुख्य उद्देश्यों में एक था|कई महान विद्वान व्यक्ति ने स्वामी जी के इस समाज की स्थापना का सहयोग किया तो कहियो ने इस समाज का पुरजोर विरोध किया|  उन्होंने कर्म,सिधांत,पुनर्जन्म ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया| उन्होंने वेदों के प्रचार प्रसार और आर्यावर्त को स्वतंत्रता दिलाने के लिए मुंबई में आर्यसमाज की स्थापना की| स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ही 1876 में स्वराज्य का नारा दिया था|
स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लालाहंसराज ने 1886में ;लाहोर में दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना की तथा स्वामी स्र्धानंद ने 1909में हरिद्वार के निकट कांगरी में गुरुकुल की स्थापना किया|

स्वामी दयानन्द के धार्मिक विचार :

स्वामी जी को बचपन से ही वेदों का पूरा ज्ञान था,ब्राह्मण परिवार के होने के कारन उन्हें उनके पिता जी समय समय पर वेदों का ज्ञान देते रहे| तत्पश्चात उन्होंने भरत भ्रमण के समय वेदों का ज्ञान अर्जित करते रहे और उनके उपदेशो को लोगो तक पहुचाते रहे| वेदों को छोर कोई एसा धर्मग्रन्थ प्रमाण नहीं है: इस सत्य का प्रचार करने के लिए स्वामी जी ने सारे देश का दौरा करना प्रारंभ किया| इन्होने वेदों का ज्ञान इतना अर्जित क्र लिया था की वे जहा भी जाते थे सारे पण्डित और पेशेवर धर्मगुरु इनसे हार मान लेते थे| उन्होंने शंस्कृत में महारत हाशिल कर लिया था|
उन्होंने हिन्दू धर्म ग्रंथो के साथ एनी धर्म ग्रन्थ जैसे इसाई और मुश्लिम धर्म ग्रंथो का भी अध्ययन किया था| उन्होंने कभी किसी के धर्मो को छोटा या बुरा नहीं कहा बल्कि अपने अनुयाइयो के साथ मिलकर वेदों का प्रचारकरने के लिए शंघर्ष आरंभ किया|उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर तीनो मोर्चो में धर्म का प्रचार प्रसार शुरु किया| उनका यह मानना था की वेद में सारे समस्यायों का हल है,पौराणिक ग्रंथो में भी वेदों का ही अंश मिले है|
स्वामी जी सभी धर्मो में व्याप्त जितनी भी बुराई है सबका विरोध कठोर शब्दों में करते थे| सर्व प्रथम उन्होंने हिन्दू धर्मो में व्याप्त  बुरइयो का खंडन किया| हालाँकि वे खुद भी हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखते थे,तत्पश्चात उन्होंने हिन्दू धर्मो में व्याप्त बुरइयो का खंडन किया| वे किसी भी धर्म के अनुयायी नहीं थे उन्हें जिस जिस धर्मो  में बुराई दिखी सभी का खंडन करे और कठोर शब्दों में किया| वे शत्य का प्रचार करने वाले स्वामी थे| उन्होंने शत्यार्थ प्रकाश की रचना की,अपने इस महान ग्रन्थ में स्वामी जी ने सभी मतों में व्याप्त बुराइयों का खंडन किया है|
BIOGRAPHY OF SWAMI DAYANAND SARSWATI IN 2021 / स्वामी दयानंद सरस्वती को किसने मारने का षड्यंत्र रचा जाने हिंदी में?

स्वामी जी द्वरा किये गए  समाज  सुधार के कार्य और शिक्षा में योगदान :

स्वामी दयानन्द सरस्वती ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की भरपूर कोसिस की| उन्होंने तत्कालीन  समाज में व्याप्त रुढियो,अन्ध्विस्वासो और पखंदो का खंडन पुरजोर शब्दों में किया| जिसके कारण उन्हें सन्यासी योद्धा कहा जाने लगा| उन्होंने अपने बाल्यकाल से ही संत गुरु रबिदास (Sant Guru Rabidas) की तरह जाती प्रथा का पुरजोर विरोध किया|
उन्होंने हमेसा कर्म के आधार पर वर्ण का निर्धरित होने चाहिए जैसी  बात कही| अर्थार्त भेदभाव और छुआ-छूत को दूर करने के लिए उन्होंने कर्म को हमेसा ऊपर रखा न की जात-पात को| उन्होंने हमेसा दलितों के पक्ष में रहने की ठानी वे हमेसा उनके पक्षधर रहे और उनसे किये गए छुआ-छूत का खंडन करते रहे|
उन्होंने स्त्रियों को समान अधिकार देने की बात कही,और उनकी शिक्षा के लिए आन्दोलन चलाया ताकि स्त्रियों और लारकियो को भी समान अधिकार और सामान शिक्षा प्राप्त हो| ये वर्तमान समय में भी लागू होता है और स्त्रियों के अधिकार हेतु हमलोग महिला दिवस (Womens Day) को मनाते है|
उन्होंने बाल विवाह और सटी प्रथा का विरोध किया और विधवा विवाह का समर्थन किया| स्वामी दयानन्द जी तैत्र्वाद के समर्थक थे| उन्हें वेद का पूरा ज्ञान था अतः वे वेद के आधार को सर्वव्यापी मानते थे|  वे योगी थे और योगसाधना में विश्वास करते थे| वे समाज में व्याप्त सभी वर्णों स्त्री पुरुषो के समानाधिकार के पक्षधर थे| वे जहा भी जाते थे अपने अनुयायियों को शिक्षा देते रहते थे| उनके शिक्षा में देस्भक्ति,दूरदर्शी,और युगानुकुल के विशेष शिक्षा मिलती थी|
वेसे तो वे स्न्याशी थे लेकीन उनके अन्दर प्रचंड राष्ट्रवादी और राजनैतिक ज्वाला थी और अंग्रेजो के प्रति बेहद क्रोध था| वे हमेशा वेदेशी फुट डालो की निति का विरोध करते थे| दो भाई आपस में लरते है तो तीसरा बैठ मजा लेने के विरोधी थे| उन्होंने ग्रंथो के आधार पर न्याय व्यवस्था का पक्षधर था|

स्वराज्य के शंदेसवाहक:

स्वामी दयानन्द ने सर्वप्रथम स्वराज्य कि बात कही थी| वे अंग्रेजो के फुट डालो की निति का हमेशा से खंडन किया| उनका अंग्रेजो के प्रति अलग ही आक्रोश था जिसे वे पुर्न स्वराज्य के रूप में हाशिल करना चाहते थे|  स्वामी दयानन्द सरस्वती को आर्य समाज के संस्थापक के रूप में जानते है लेकिन राष्ट्र स्वतंत्रता के लिए दिए गए उनके भुमिका को बहुत कम लोग ही जानते है|
स्वामी दयानन्द  सरस्वती जी ने अपनी लेखनी के माध्यम से पुरे भारत को यह सन्देश पहुचाया था की आर्य,आर्य्वातियो का है अर्थात भारत भरतीयो का है|  1857 की क्रांति का सम्पूर्ण योजना और कार्यपालन में स्व्वामी जी का ही हाथ था| वे अपने प्रवचनों से श्रोताओ के अंदर राष्ट्रवाद की भावना का बिज बो रहे थे|
1855 में जब वे हरिद्वार में कुम्भ के मेला में अपने अनुयायियों को संबोधित करने केलिए स्वामी जी आबू पर्वत से हरिद्वार पैदल यात्रा किये थे| सारे रश्ते चलते चलते वे प्रवचन देते गए और भारत की रुख को टटोला अंग्रेजो के प्रति|

देश की प्रथम स्वाधीनता संग्राम में स्वामी दयानन्द का योगदान:

 यूँ तो स्वामी जी के बारे में लोगो की यही धरना थी की वे एक साधू सामान थे,लेकिन बहुत कम लोगो को यह पता होगा की स्वामी ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम इ अपना भरपूर योगदान दिया था| व मंगल पाण्डेय और धान सिंह गुर्जर के समकालीन थे|  जब वे हरिद्वार पहुचे और एकांत कही बैठे थे तब उनकी मुलाकात ऐसे पांच व्यक्ति से हुई जो आगे चलकर 1857 की क्रांति के मूलाधार बने|  ये पांच व्यक्ति थे: नाना साहेब,अजीमुल्ला खां,बाला साहब,तात्या टोपे तथा बाबु कुवर सिंह ये इनके भी समकालीन माने जाते है|
बातचीत के दौरान ही उइन्होने तय किया की फिरंगी सरकार के विरुद्ध सम्पूर्ण देश में क्रांति की तैयारी की जाए,और एक निश्चित दिन देश में क्रांति का बिगुल बजाय जाए एसा निर्णय लिया गया| आम भरतीयो तक इस क्रांति की आवाज पहुचाने के लिए उन्होंने रोटी और कलम योजना तैयार की| इस पुरे क्रांति की योजना स्वामी जी का था| विचार विमर्श के बाद स्वामी जी हरिद्वार में रुक गए और बाकी के पांचो निति के अनुसार अपने अपने जगह के लिए प्रस्थान ले लिए|
स्वामी जी ने वहा साधू संयाशियो के साथ मिलकर एक गुप्तचर संगठन का आयोजन इन्द्रप्रस्थ(दिल्ली) के एक मंदिर में किया जिसने आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,उनमे जितना भी साधू संत थे सभी ने क्रांतिकारियों का सन्देश एक स्थान से दुसरे स्थान तक ले जाते थे|
स्वतंत्रता संग्राम जब असफल हो गया तब भी स्वामी जी निराश नहीं हुए | उन्हें यह बात अच्छे से पता था की स्वतंत्रता एक बार में हाशिल कभी नहीं हो सकती | अतः 1855 के योजना में हरिद्वार ने बाबू कुंवर सिंह ने स्वामी जी से आन्दोलन की असफलता की बात कही,तब स्वामी जी ने कहा संग्राम कभी असफल नहीं होता| भरत धीरे धीरे 100 वर्षो में गुलामी की बैरियो में जकरा गया है उसी तरह इसे स्वतंत्र होने में भी 100 वर्ष लग जाएँगे| और सभी से निराश न होने की बात कही|

दयानंद द्वारा गुरु की प्राप्ति :

1857 में क्रांति के असफल हो जाने के दो वर्ष बाद स्वामीजी विरजानंद को अपना गुरु बनाया और उनसे दीक्षा ली| गुरूजी के आश्रम में रहकर उन्होंने वेदों का ज्ञान अर्जित किया,और अपने गुरु के निर्देसनुसार अपने ज्ञान के प्रचार प्रसार में जुट गए| इसी से प्रेरित होकर उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की और अनेकोसमाज सुधार हेतु कार्य किये|
छुआ-छूत ,सती प्रथा,बाल विवाह,नर बलि,धार्मिक संकीर्णता तथा अन्ध्विस्वासो के विरुद्ध उन्होंने जमकर प्रचार किया ओए विधवा विवाह,धार्मिक उदारता तथा आपसी भाईचारे का समर्थन किया| इनके साथ साथ इन्होने लोगो में देशभक्ति की भावना भरने का काम किया|
प्रारंभ में उनके कार्यो से लोग असंतुष्ट थे और उनके कार्यो में विघ्न डालते थे,अतः स्वामी जी ने तर्क द्वारा लोगो को समझान सुरु हुआ और उनकी बधाएकम होती गई|
BIOGRAPHY OF SWAMI DAYANAND SARSWATI IN 2021 / स्वामी दयानंद सरस्वती को किसने मारने का षड्यंत्र रचा जाने हिंदी में?

दयानन्द की हत्या का षड्यंत्र :

स्वामी दयानन्द सरस्वती की मृत्यु जिन परिस्थितिओ में हुई उनसे यह पता चलता है की उनकी मृत्यु साधारण नहीं थी| उनकी देश प्रेम और राष्ट्रप्रेम की भावना ब्रिटिश सरकार के आँखों में आ गई थी| स्वामी जी की मृत्यु 30 अक्टोबर 1883 को दीपावली के दिन संध्या को हुई थी| उस समय वह जोधपुर के राजा ज्जस्वंत सिंह द्वारा आमंत्रित किये जाने पर उनके पास गए थे|  रजा जसवंत सिंह के महलो में अक्सर स्वामी जी के प्रवचन होते रहते थे|  वह पर उनकी नजर नन्ही नामक वैश्या पर गई,उसका हस्तक्षेप रजा जसवंत सिंह पर काफि ज्यदा था| स्वामी जी को यह बात बहुत बुरा लगा| और महाराजा को उससे दूर रहने की सलाह दी|
महाराज स्वामी जी का बहुत सम्मान करते थे और उनका बातो का आदर पूर्वक स्वीकार करते थे|  अतः रजा ने स्वामीजी की बाते स्वीकार कर ली और नन्ही से अपने सरे सम्बन्ध तोर लिए और उनको  को  महल से निकल दिया गया| नन्ही वैश्य को यह बात पसंद नहीं आई और वह स्वामीजी के विरुद्ध हो गई|
उसने स्वामी जी की रशोई में जगन्नाथ नमक व्यक्ति को अपने साथ मिला लिया,और स्वामी जी के दूध में पिसा कांच दाल दिया| थोरी देर बाद स्वामी जी के पास आकार अपनी गलती स्वीकारी और उसने क्षमा की भिक मांगी| स्वामी जी का उदार ह्रदय होने के कारन जगन्नाथ को पुलिश किसी तरह तंग न करे अतः राह खर्च के लिए उन्हें पांच सौ रूपये दिए| बाद में जब भारती करवाया गया तो वहां सम्बंधित चिकित्सक भी शक के दायरे में आया| उन पर आरोप था की वह दवा के नाम पर स्वामी जी को हलकी हलकी विश पिलाते रहे और स्वामी जी की अश्प्ताल में तबियत ज्यादा खराब होने के कारन उन्हें बचाया न जा सका|

FAQ(FREQUENTY ASKED QUESTIONS)

1. स्वामी दयानन्द सरस्वती किसके समकालीन थे?
= स्वामी जी दयानन्द सरस्वती धान सिंह तोमर,तात्या टोपे,अजीमुल्ला खान,बाला साहब,नाना साहेब,और बाबु कुवर सिंह के समकालीन थे|
2.स्वामी दयानन्द सरस्वती योग क्षेत्र में योगदान?
= स्वामी जी भारत में वेदों और उपनिषदों के हमेसा से पक्षधर रहे है| उन्होंने योग को अपने जीवन में लागु किया था उन्हें आय दिन प्राणायाम करते देखा जाता था| अतः योग के क्षेत्र में भी स्वामीजी का अहम् योग्दान है|
3.स्त्रियों के शिक्षा में स्वामी जी काक्या योगदान रहा है?(WHAT WAS THE CONTRIBUTION OF SWAMI DAYANAND SWARASWATI IN WOMEN EDUCATION?
= स्वामी जी ने भारत में व्याप्त कुरीतियों को हमेसा से विरोध किया है| उन्होंने स्त्रियों को समान अधिकार देने की बात कही,और उनकी शिक्षा के लिए आन्दोलन चलाया ताकि स्त्रियों और लारकियो को भी समान अधिकार और सामान शिक्षा प्राप्त हो| ये वर्तमान समय में भी लागू होता है और स्त्रियों के अधिकार हेतु हमलोग महिला दिवस (Womens Day) को मनाते है|
4.किस घटना के बाद स्वामी जी ने अपना घर त्याग दिया?
=जब स्वामी जी बरे हुए,तब उनके साथ एक घटना घटी जिसे उन्हें जीवन के प्रति उनकी आँखे खोल दी| स्वामी सरस्वती अपने पुरे परिवार के साथ रहते थे,उनके परिवार में उनका चाचा भी था, अतः भारत में फैले हैजे के कारन उनके चाचा और उनके छोटे बहन की मृत्यु हो गई,मूलशंकर के पिता के अनंत कोशिशो के बावजूद भी वह अपनी पुत्री और अपने भाई को बचा न सका| अतः उनका मृत्यु के बाद स्वामी जी मृत्यु और जीवन का अर्थ गहराई से सोचने लगे|
स्वामी जी माता और पिता ने उनका विवाह उनके किशोरावस्था के प्रारंभ में करने का निश्चय किया| 19 वी शादी के प्रारंभ में यह आम बात थी,लेकिन स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने यह निश्चय किया की इन सब चीजो की लिए वह नहीं बना है| अतः 1846 में वे सत्य की खोज के लिए घर से निकल परे|

कुछ अंतिम शब्द स्वामी दयानंद सरस्वती के लिए:

तो ये थी BIOGRAPHY OF SWAMI DAYANAND SARSWATI/ स्वामी दयानंद सरस्वती को किसने मारने का षड्यंत्र रचा जाने हिंदी में? जिसमे हमने हर एक बारीकिया देने की कोशिस की है जिससे हमारे पाठको को किसी दुसरे आर्टिकल में जाने कि जरुरत न हो|

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विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर जाने कुछ रोचक तथ्य?|WORLD HEALTH DAY 7 APRIL,QUOTES,MASSEGES,HEALTHY LIFE STYLE

लेखक: गुड्डू राय

स्वास्थ्य एक एसी सम्पति है जससे दुनिया की हर चीज को हासिल करने में मदद मिलती है, चाहे अआप कितने भी आमिर हो या कितने भी गरीब स्वस्थ रहना हमारा अहम् जिम्मेदारी होनी चाहिए| हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हमेसा से फिट इंडिया मूवमेंट(FIT INDIA MOVMENT) को प्रोत्साहित करते हुए हमारे यूथ को फिट रहने की लाह देते रहे है| विश्व स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है. आइये जाने WORLD HEALTH DAY 7 APRIL,QUOTES,MASSEGES,HEALTHY LIFE STYLE / विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर जाने कुछ रोचक तथ्य?

विश्व स्वास्थ्य दिवस की सुरुवात किसने की? (WHO STARTED TO CELEBRATE WORLD HEATH DAY):

प्रत्येक वर्ष उत्कल दिवस/ओड़िसा दिवस के 6 दिन बाद यानी 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है| इस दिन की शुरुवात विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वरा कीया गया था| सन्न 1948 के 7 अप्रैल के दिन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रथम बैठक में विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया| जिसके पश्चात सन् 1950 से हर साल लगातार इस दिवस को मनाया जाने लगा| साल 202 1 में दुनियाभर में 71वां विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाएगा|
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शुरुआती दिनों के दौरान WHO से जुरे देशो में ही इस दिन को मनाया जाता था | लेकिन वर्तमान समय में WHO के सदस्य देशों की संख्या बढ़ने के कारन बाकी अन्य देशों में भी इस दिन को मनाया जाने लगा है,जो पहले नहीं मनाते थे| प्रत्येक वर्ष इस दिन के मनाए जाने के साथ-साथ,एक खास थीम को चुना जाता है| इस साल WHO के द्वारा ‘एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण’ नमक थीम को चुना गया है|
 

विश्व स्वास्थ्य दिवस/WORLD HEALTH DAY का महत्व:

दुनिया में करोरो की संख्या में मनुष्य वर्तमान समय में कई गंभीर बिमारियों से जूझ रहां हैं| उनमें से मलेरिया, हैजा, टीबी, पोलियो, कैंसर और एड्स,टायफायड,डेंगू, सैंड फ्लाईस, घोंघा आदि जैसी घातक बिमारी का लोग शिकार हो रहे हैं|  पुरी दुनिया के मनुष्यों में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थय बनाने के लिए जागरुक करना ही इस दिन का प्रमुख उद्देश्य रहा है|
WORLD HEALTH DAY 7 APRIL 2021,QUOTES,MASSEGES,HEALTHY LIFE STYLE / विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर जाने कुछ रोचक तथ्य?
 
 
विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष पर लोगों से आग्रह किया जाता है की वे अपने स्वास्थ्य की देखभाल करे और इसके लिए लोगो को जागरुक किया जाता है.| विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से इस दिवस पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगो को और अन्य प्रकार के संगठन जो स्वास्थ्य क्षेत्र से जुरे हैं उन्हें WHO के द्वारा सहयोग किया जाता है|
 
विश्व स्वास्थ्य दिवस के सभी उद्देश्य,विश्व की भिन्न-भिन्न स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से जूरी हुइ हैं। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य संबंधी मामलों से जुड़े सभी प्रकार के अंधविश्वास को दूर करना तथा स्वास्थ्य से जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं पर विचार करना और उनपर काम कर के अमल करना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन कैसे कार्य करते है(HOW DOES WHO WORKS?):

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बीते 71 वर्षों में विश्व को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन कार्य करता आ रहा है। यह संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ मिलकर विशेष प्रकार की एजेंसियों तथा सरकारी स्वास्थ्य प्रशासनो और पेशेवर समूहों एवं ऐसे अन्य कई  संगठनों के साथ मिलकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे हैं|
 
 उनके साथ संगठन एक दुसरे के साथ मिलकर सहयोग स्थापित अपना प्रभाव चोर रहे है| सरकारों के आग्रह पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करने के लिये सहायता प्रदान करना तथा ऐसे विशेषज्ञ समूहों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देता है, जो स्वास्थ्य प्रगति के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं।
 

स्वास्थ्य दिवस 2023 का थीम(THEME OF WORLD HEATH DAY 2023):

प्रत्येक वर्ष इस दिन के मनाए जाने के साथ-साथ,एक खास थीम को चुना जाता है| इस साल WHO के द्वारा ‘एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण’ नमक थीम को चुना गया है| 1950 से अब तक के सारे थीम इस प्रकार है|

वर्ष(YEAR)

थीम (THEME)

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1950 का थीम

 अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को जानिये

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1951 का थीम

 आपके और विश्व के बच्चों के लिये स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1952 का थीम

स्वस्थ माहौल स्वस्थ लोगों को बनाता है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1953 का थीम

स्वास्थ्य ही धन है”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1954 का थीम

नर्स: स्वास्थ्य की अगुआ है”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1955 का थीम

स्वच्छ जल मतलब बेहतर स्वास्थ्य”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1956 का थीम

बीमारी लिये हुए कीट-पतंगों को खत्म करो

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1957 का थीम

सभी के लिये भोजन

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1958 का थीम

स्वास्थ्य प्रगति के 10 वर्ष

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1959 का थीम

आज की दुनिया में मानसिक बीमारी और मानसिक स्वास्थ्य है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1960 का थीम

मलेरिया उन्मूलन- विश्व के लिये चुनौती

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1961 का थीम

दुर्घटना और उनका बचाव

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1962 का थीम

 दृष्टी को बचाए रखो- अंधेपन से बचाना

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1963 का थीम

भूख लाखों की बीमारी”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1964 का थीम

टीबी के लिये कोई युद्धविराम नहीं”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1965 का थीम

बड़ी माता- लगातार चौकन्ना रहें”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1966 का थीम

पुरुष और उसका शहर”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1967 का थीम

स्वास्थ्य में सहयोगी”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1968 का थीम

कल की दुनिया में स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1969 का थीम

स्वास्थ्य, मजदूरी और उत्पादकता”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1970 का थीम

कैंसर की पूर्व पहचान जीवन को बचाता है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1971 का थीम

मधुमेह के बावजूद एक पूरा जीवन

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1972 का थीम

आपका दिल आपका स्वास्थ्य है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1973 का थीम

घर से स्वास्थ्य की शुरुआत होती है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1974 का थीम

तंददुरुस्त विश्व के लिये बेहतर भोजन”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1975 का थीम

बड़ी माता: दुबारा वापसी गुंजाईश नहीं

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1976 का थीम

पूर्व ज्ञान अँधेपन से बचाता है”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1977 का थीम

अपने बच्चों का प्रतिरक्षण और बचाव करें

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1978 का थीम

उच्च रक्तचाप से नीचे”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1979 का थीम

एक स्वस्थ बच्चा: एक सुनिश्चित भविष्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1980 का थीम

धुम्रपान और स्वास्थ्य: चुनाव आपका है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1981 का थीम

 वर्ष 2000 एडी से सभी के लिये स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1982 का थीम

वर्षों में जीवन जोड़े

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1983 का थीम

वर्ष 2000 एडी से सभी के लिये स्वास्थ्य”: गिनती शुरु हो चुकी है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1984 का थीम

बच्चों का स्वास्थ्य: कल का धन”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1985 का थीम

स्वस्थ युवा- हमारे बेहतरीन संसाधन”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1986 का थीम

स्वस्थ जीना: हरेक विजेता है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1987 का थीम

प्रतिरक्षण: हर बच्चे के लिये एक मौका

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1988 का थीम

सभी के स्वास्थ्य: स्वास्थ्य के लिये सभी”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1989 का थीम

 “चलिये स्वास्थ्य के बारे में बात करें

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1990 का थीम

हमारा ग्रह हमारी धरती: सोचें वैश्विक, कार्य स्थानीय

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1991 का थीम

क्या आपदा आक्रमण करेगा, तैयार रहें”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1992 का थीम

दिल की धड़कन: स्वास्थ्य की लय”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1993 का थीम

ध्यान से जीवन को सँभालें: हिंसा और उपेक्षा से बचाएँ

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1994 का थीम

एक स्वस्थ जीवन के लिये मौखिक स्वास्थय

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1995 का थीम

वैश्विक पोलियो उन्मूलन”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1996 का थीम

बेहतर जीवन के लिये स्वस्थ शहर

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1997 का थीम

आने वाला संक्रामक रोग”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1998 का थीम

सुरक्षित मातृत्व

विश्व स्वास्थ्य दिवस 1999 का थीम

सक्रिय बुढ़ापा अंतर पैदा कर सकता है

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2000 का थीम

सुरक्षित खून की शुरुआत मुझसे हुई”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2001 का थीम

मानसिक स्वास्थ्य: बहिष्करण रोकें, उपचार की हिम्मत करें”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2002 का थीम

स्वास्थ के लिये चलें”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2003 का थीम

जीवन के भविष्य को आकार दें: बच्चों के लिये स्वस्थ पर्यावरण

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2004 का थीम

सड़क सुरक्षा

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2005 का थीम

 हरेक माँ और बच्चों की गिनती

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2006 का थीम

स्वास्थ्य के लिये एक साथ काम करें

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2007 का थीम

अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2008 का थीम

जलवायु परिवर्तन के विपरीत प्रभाव से स्वास्थ्य को बचाना

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2009 का थीम

जीवन बचाएँ, आपात स्थिति में सुरक्षित अस्पताल बनाएँ

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2010 का थीम

शहरीकरण और स्वास्थ्य: शहर को सेहतमंद बनाएँ

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2011 का थीम

सूक्ष्मजीवों विरोधी रोक: आज कोई क्रिया नहीं, कल कोई उपचार नहीं

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2012 का थीम

अच्छा स्वास्थ्य जीवन में और समय जोड़ देते हैं

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2013 का थीम

स्वस्थ दिल की धड़कन, स्वस्थ रक्तचाप

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2014 का थीम

वेक्टर से जन्म लेने वाली बीमारी”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2015 का थीम

खाद्य सुरक्षा” (5 समाधानों के साथ; समाधान 1: हमेशा सफाई रखें, समाधान 2: पके और कच्चे खाने को अलग रखें, समाधान 3: खाने को अच्छे से पकायें, समाधान 4: खाने को सुरक्षित तापमान पर रखें, समाधान 5: सुरक्षित पानी और कच्चे सामानों का इस्तेमाल करें)।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2016 का थीम

मधुमेह: रोकथाम बढ़ाना, देखभाल को मजबूत करना और निगरानी बढ़ाना”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2017 का थीम

 “डिप्प्रेशन: चलो बात करते हैं

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2018 का थीम

यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज: हर कोई, हर जगह

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2019 का थीम

सर्वत्र स्वास्थ्य सुरक्षा (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज)”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2020 का थीम

नर्स और दाई का वर्ष (Year of the Nurse and Midwife)”

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2021 का थीम

एक निष्पक्ष, स्वस्थ दुनिया का निर्माण

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 

WORLD HEALTH DAY में स्वस्थ्य रहने के उपाय:

जिस तरह हम स्वास्थ्य की समस्याओ से जूझ रहे है,वह देखते हुए हमे इससे निजात पाना बहुत जरुरी है जिसके कारन हमे स्वास्थ्य और फिट रहना बहुत जरूरी है | अतः फिट और स्व्यस्थ रहने के कुछ उपाय ये है:
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सेहत से जूरी कुछ जरुरि बाते:

1. सुबह उठने के बाद हल्का गर्म पानी पीना सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इससे पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं जैसे गैस एसिड से बचे रहते हैं।
 
2. सुबह हेल्दी ब्रेकफास्ट करना चाहिए। इससे बहुत-सी हैल्थ प्रॉब्लम्स दूर हो जाती है। इसके अतिरिक्त अपने ब्रेकफस्ट में विटामिन्स, मिनरल्स,फाइबर और प्रोटीन जैसी चीजे युक्त नास्ते का सेवन करें।
 
3. दोपहर को लंच के बाद 1 घंटे बाद 1 गिलास हल्का गुनगुना पानी जरूर पीएं। इससे आपका खाना डाइजेस्ट होने में मदद मिलती है और आप कई बीमारियों से बचे रहते है।
 
4. रात को डिनर के 1 घंटे बाद 1 गिलास दूध पीना न भूलें। आप चाहे तो दूध में तुलसी, बादाम जैसी चीजो को मिलाकर पी सकते हैं। इससे नींद अच्छी आएगी और आपका खाना डाइजेस्ट होने में मदद मिलेगा।
 
5.फ्रिज से किसी भी चीज को निकालकर तुरंत न खाए कृपया आप उस चीज को कम के कम 1 घंटे बाद ही खाएं।
 
6.रात को ज्यादा खाना न खाएं क्यूंकि ज्यादा खाना खाने से नींद अच्छी नहीं आती और वह ठीक से पच भी नहीं पाता।
 
7. रोज सुबह सुबह वाक के लिए जाए या यंग है तो रनिंग या जागिंग करे इससे आपका सेहत स्वास्थ्य रहेगा|
 
8. भोजन करने के बाद कम से कम 15-20 मिनट जरूर चलें। इससे न  सिर्फ भोजन अच्छी तरह पचने में मदद मिलती है,बल्कि इससे आप स्वस्थ भी रहते हैं।

स्वस्थ्य दिवस के कुछ अंतिम शब्द:

तो ये थी WORLD HEALTH DAY 7 APRIL,QUOTES,MASSEGES,HEALTHY LIFE STYLE / विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर जाने कुछ रोचक तथ्य? जिसमे हमने साडी जानकारी देने की कोसिस की है जिससे हमारे पाठक को किसी दुरे आर्टिकल में जाने की जरुरत न हो ,और उनकी जरी जानकारी हमारे इस आर्टिकल में मिल जाए|
 

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