BHAGAT SINGH FULL BIO,QUOTES, / भगत सिंह के जीवन की कुछ रोचक जानकारी जाने 2023 में?

 लेखक:मोनू शर्मा राय
BHAGAT SINGH FULL BIO-आज हमलोग इस पोस्ट में देश के वीर सपूत की कहानी जानेंगे| द्खेंगे की उनका योगदान कितना बार था हमारे जीवन में| हमारे देश को गुलामियो की जंजीरों में जकरने में अंग्रेजो को 100 वर्ष से भी अधिक समय लग गया| देश को 1857 की जंग में स्वामी दयानन्द सरस्वती से लेकर झाँसी की रानी और मंगल पाण्डेय की क़ुरबानी हमें याद है| देश का पहला स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने अपना योगदान किस तरह दिया और हमे आजादी का सही मतलब समझया | उसी तरह आज हमलोग इस पोस्ट में देश के वीर पुत्र श्री भगत सिंह के जीवन की कुछ रोचक  जानकारी जाने 2023 में / BHAGAT SINGH FULL BIO,QUOTES, के बारे में जानेंगे | अगर आप भी भगत सिंह के जीवन से जूरी बातो को जानना चाहते है तो ये पोस्ट आपके लिए है| ये भी पढ़ेसहीद दिवस की पूरी कहानी
BHAGAT SINGH FULL BIO,QUOTES, / भगत सिंह के जीवन की कुछ रोचक  जानकारी जाने 2021 में?

भगत सिंह की जीवनी पर निबंध (ESSAY ON BHAGAT SINGH FULL BIO):

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भगत सिंह का जन्म लायलपुर जिले के बंगा में २७ सितम्बर सन् १९०७ में हुआ था,और अब यह जिला पाकिस्तान के अंतर्गत आता है | उनके दो चाचा जिनके नाम अजित सिंह और स्वान सिंह थे, दोनों भारत की आजादी में अपना सहयोग दे रहे थे | अजित सिंह और स्वान सिंह दोनों ही ग़दर पार्टी के सदस्य थे जिसका संचालन करतार सिंह सराभा कर रहे थे | इन दोनों का बहुत ही गहरा प्रभाव भगत सिंह के जीवन पर पड़ा , और यही करण है की बचपन से ही भगत सिंह अंग्रजों से बहुत घृणा करने लगे थे |


 भगत सिंहजिनसे सबसे ज्यादा प्रभावित थे वो थे लाला लाजपत राय और करतार सिंह सराभा | जलियावाला बाग़ हत्याकांड जो १३अप्रैल १९१९ को हुआ था ,इस हत्याकांड का भगत सिंह के बाल मन पर  बहुत ही अधिक गहरा प्रभाव पड़ा| 

वे लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढाई कर रहे थे पर वंहा से उन्होंने पढाई छोड़ कर १९२० में अहिंसा आन्दोलन में भाग लेने लगे जो महात्मा गाँधी द्वारा चलाया जा रहा था| इस आन्दोलन के द्वारा महात्मा गाँधी  विदेशी सामानों का बहिस्कार कर रहे थे |   

जब भगत सिंह १४ वर्ष के हुए तो उन्होंने सरकारी स्कूलों से कपडे और बहुत सारी पुस्तकों को जला दिया और धीरे धीरे इनके पोस्टर गाँवो में छपने लगे | पहले तो भगत सिंह  भारतीय नेशनल कांफ्रेंस और महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गए आन्दोलन के सदस्य थे |

जब १९२१ में चोरी -चोरा हत्याकांड हुआ उसके बाद वंहा के किसानो ने गांधीजी का साथ नहीं दिया इसका भगत सिंह पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा | इसके बाद भगत सिंह ग़दर पार्टी का हिस्सा बन गए जिसका नेतृत्व चन्द्रसेखर आजाद कर रहे थे | भगत सिंह और चन्द्र शेखर आजाद दोनों ने एक साथ मिलकर अंग्रजो के खिलाफ आन्दोलन शुरू कर दिया |ये भी पढ़े:WWW को क्या कहते है

शाहजहाँपुर से लखनऊ के लिए ८नंबर डाउन पैसेंजर चली जिसमे से काकोरी नामक एक छोटे से स्टेशन पुरे सरकारी खजाने को लुट लिया गया और यह घटना ९अगस्त १९२५ को हुई थी और इस घटना को इतिहास में काकोरी हत्याकांड के नाम से जाना जाता है |  इस घटना को अंजाम देने वाले प्रमुख सदस्य रामप्रसाद बिस्मिल , भगत सिंह,चन्द्रसेखर आजाद थे ,इनके साथ ही कुछ अन्य प्रमुख क्रांतिकारी भी थे जो इस घटना में शामिल थे |
आगे चल कर काकोरी हत्याकांड के बाद हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन से अंग्रेजो ने क्रांतिकारियों की धर पकड़ तेज कर दी और जगह जगह अपने एजेंट्स को बहाल कर दिया | सुखदेव और भगत सिंह लाहोर पहुच गए | वहां उनके चाचा रहते थे जिनका नाम सरदार किशन सिंह था ,उन्होंने भगत सिंह और सुखदेव को एक खटाल खोल दिया और कहा अब यहाँ रहकर ही दूध का कारोबार करो | 

भगत सिंह के चाचा सरदार किशन सिंह भगत सिंह की सदी करवाना चाहते थे | यहाँ तक की एक बार वे लड़की वालो को घर भी लेकर आ गए थे | भगत सिंह पेंसिल और कागज लेकर दूध का हिसाब करते थे लेकिन उनका हिसाब कभी नहीं मिलता था | ज्यादातर दूध तो सुखदेव खुद पि जाते और साथ में दुसरो को भी मुफ्त में दूध पिला देते थे | 

17  सितम्बर 1928  को भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर लाहौर में सहायक पुलिस अधीक्षक रह रहे अंग्रेज अफसर जेपी सांडर्स को मारा था | इसमें उनकी सबसे ज्यादा सहायता की थी वे चन्द्रसेखर आजाद थे | 8  अप्रैल  1929 को अंग्रेजी सरकार को जगाने के लिए अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने अलीपुर रोड दिल्ली में स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में बम और पर्चे फेंके थे|
भगत सिंह ने 23  वर्ष की उम्र में फ्रांस,रूस और आयरलैंड की क्रांति का अध्ययन किया था | वे एक क्रांतिकारी देशभक्त ही नहीं थे बल्कि उसके साथ साथ एक अध्ययनशील विचारक ,दार्शनिक ,चिन्तक, पत्रकार ,कलम के धनी, लेखक और एक महान पुरुष भी थे| भगत सिंह भारत में समाजवाद के पहले व्याख्याता थे| साथ ही वे हिंदी,उर्दू,अंग्रेजी, संस्कृत,बंगला ,पंजाबी,और आयरिश भाषा के विचारक और मर्मज्ञ चिन्तक थे|  उन्होंने दो अखबारों का सम्पादन भी किया  जिनका नाम कीर्तिऔर अकालीथा | 

करीबन 2  साल तक भगत सिंह जेल में रहे | इस समय वे अपने क्रांतिकारी विचार अपने लेख लिखकर व्यक्त करते थे | जेल में रहने क बाद भी उनका  अध्ययन जारी रहा | उन्होंने कुछ ऐसे लेख लिखे है जिनके माध्यम से उन्होंने कई तरह से पूंजीपतियों  को अपना शत्रु बताया है | उन्होंने अपने लेखो  में लिखा है कि मजदूरों का शोषण करने वाले चाहे वह कोई भारतीय ही क्यों न हो ,वह उनका शत्रु है |

जब वे जेल में थे तो उन्होंने जेल में ही अंग्रेजी में एक लेख लिखा था जिसका शीर्षक “मैं नास्तिक क्यों हूँ?” था | जेल में भगत सिंह और उनके  साथियो  ने मिलकर 64  दिनों की एक भूख हड़ताल की थी जिसमे उनके एक साथी ने अपने प्राण तक त्याग दिए जिसका नाम यतीन्द्रनाथदास था | भगत सिंह और उनके दो साथियों  राजगुरु और सुखदेव को 23  मार्च  1931  को फँसी दे दी गयी |  जब उनको फांसी दी गयी उसके पहले वे बिस्मिल की जीवनी पढ़ रहे थे जो सिंध के एक प्रकाशक भजन लाल बुकसेलर ने आर्ट प्रेस सिंध से छापी थी |

लाहौर के प्रसासक ने ये ऐलान किया था कि लाहौर क मशहूर चौक शादमान चौक  का नाम बदल कर भगत सिंह चौक किया जगा इस बात को लेकर पाकिस्तान में खूब बवाल मचा हुआ था इस फैसले के बाद वह के प्रसासक को चारो तरफ से विरोध  का सामना करना पड़ा था |
 

BHAGAT SINGH FULL BIO,QUOTES, / भगत सिंह के जीवन की कुछ रोचक  जानकारी जाने 2023 में?

तो ये थी देश के वीर सपूत की कहानी जिसमे हमने BHAGAT SINGH FULL BIO,QUOTES, / भगत सिंह के जीवन की कुछ रोचक  जानकारी जाने 2023 में? की साडी जानकारी देने की कोशिश की है| जिसमें हमने अपने पाठको के लिए BHAGAT SINGH FULL BIO इस पोस्ट में सारी जानकारी देने की कोसिस की है ताकि उन्हें किसी दुसरे आर्टिकल में जाने की जरूरत न हो,और उन्हें पूरी जानकारी हमारे इस आर्टिकल से मिले|

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